Arif Mohammad Khan
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को बजट सत्र की शुरुआत में बिलकुल वैसा भाषण पढ़ा जैसा राज्य सरकार की तरफ से उनके लिए तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि असहिष्णुता, धर्मांधता और नफरत ‘देश में नये मानक हैं।’ धनखड़ ने अपने भाषण में यह भी कहा कि असहमति के सभी रूपों को अस्वीकार करना, राष्ट्रवाद के नाम पर नया फैशन बन गया है। लिखित भाषण से अलग नहीं बोलने ने सरकार के साथ उनके किसी तरह के टकराव की आशंका को खत्म कर दिया। धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह अपने अभिभाषण से ‘इतिहास बनाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख के तौर पर उन्होंने अपने सुझाव दिए थे और उन्हें उम्मीद थी कि उनके अभिभाषण में उन सुझावों को शामिल किया जाएगा। नियमों के मुताबिक, बजट सत्र के दौरान राज्यपाल राज्य सरकार द्वारा तैयार भाषण को पढ़ते हैं जिसमें सरकार के नीतिगत फैसलों का जिक्र होता है। धनखड़ ने भाषण पढ़ते हुए कहा, वर्तमान में हमारा देश अहम मोड़ पर है। हमारे संविधान के मूल्य एवं मूलभूत सिद्धांतों को चुनौती दी जा रही है, गलत सूचनाओं का प्रसार सामान्य बात हो गई है और सभी प्रकार की अहसमतियों को… Continue reading देश में असहिष्णुता और नफरत का माहौल
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बर्ताव में संवैधानिक मर्यादा और आत्म-स्वातंत्र्य का अद्भुत समागम हुआ है। राज्यपाल के नाते उन्होंने विधानसभा में वही भाषण पढ़ दिया, जो मुख्यमंत्री ने उन्हें लिखकर भिजवाया था लेकिन उन्होंने साथ-साथ यह भी कह दिया कि वे इसे पढ़ तो रहे हैं लेकिन इस की बात से वे सहमत नहीं हैं। क्या बात है, जिससे वे सहमत नहीं है ? वह है नागरिकता संशोधन कानून और नागरिकता रजिस्टर का विरोध ! केरल की कम्युनिस्ट सरकार तथा विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने संसद द्वारा पारित इस कानून के विरोध में मोर्चा खोल रखा है। केरल विधानसभा ने इस कानून के विरोध में प्रस्ताव तो पारित किया ही है, सर्वोच्च न्यायालय में एक मुकदमा भी दर्ज करा दिया है। इस मुकदमे की औपचारिक अनुमति तो राज्यपाल से क्या ली जाती, राज्य सरकार ने उनको सूचित तक नहीं किया। इसके अलावा उनके विरुद्ध इतिहास-कांग्रेस के अधिवेशन में भी अशिष्टता की गई। केरल के राजभवन के सामने कई प्रदर्शन किए गए लेकिन राज्यपाल ने उनकी निंदा करने की बजाय उन्हें चाय पर निमंत्रित करके बात करने की इच्छा भी प्रकट की। आरिफ खान साधारण राजनेता नहीं हैं। वे अत्यंत विचारशील, सुपठित और साहसी राजनेता हैं। शाह बानो… Continue reading राज्यपालों के साथ अशिष्टता
सियासी स्तर पर देखें तो नागरिकता संशोधन कानून विरोधी आंदोलन का प्रमुख केरल बना हुआ है। राज्य की वाम मोर्चा सरकार ने पहली ऐसी राज्य सरकार बनी, जिसने विधान सभा में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास कराया। वो पहली सरकार बनी, जो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची। अब केरल विधान सभा पहला सदन बना है, जहां इस मुद्दे पर राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव हुआ। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सदन में वाम सरकार का अपना नीतिगत अभिभाषण देते हुए राज्य विधानसभा द्वारा पारित संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी प्रस्ताव के संदर्भों को पढ़ा। जबकि पहले उन्होंने कहा था कि वो इस हिस्से को नहीं पढ़ेंगे। जब वे अभिभाषण पढ़ने आ रहे थे, तो उस दौरान केरल में विपक्षी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विधायकों ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का रास्ता रोका। उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ‘वापस जाओ’ के नारे लगाए तथा बैनर दिखाए। विधानसभा से पारित प्रस्ताव और कानून के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने के कदम को लेकर राज्य सरकार के साथ टकराव रखने वाले खान ने कहा कि हालांकि उनकी इस विषय पर ‘आपत्तियां और असहमति’ है, लेकिन मुख्यमंत्री की इच्छा का ‘सम्मान’ करते हुए वे… Continue reading राज्यपाल की विवादित भूमिका
तिरुवनंतपुरम। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा राज्य सरकार के नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करने के कदम पर अस्वीकृति दिखाने के बाद राज्यपाल के आगामी विधानसभा सत्र के दौरान अभिभाषण को लेकर टकराव होने के आसार नजर आ रहे हैं। बुधवार को विजयन कैबिनेट ने यहां बैठक की और 29 जनवरी को केरल विधानसभा में दिए जाने वाले राज्यपाल के अभिभाषण को मंजूरी दी। इसमें विवादास्पद सूट भी शामिल है, जिसे विजयन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया है। खान ने सीएए पर राज्य सरकार द्वारा कानूनी कार्रवाई का सहारा लेने पर उन्हें सूचित नहीं करने को लेकर निंदा की। सूत्रों ने खुलासा किया कि अभिभाषण में विजयन सरकार ने सीएए के खिलाफ कड़े विरोध को शामिल किया गया है और अब सभी की नजरें खान पर टिकी हैं कि उनका रुख क्या होगा। सात बार के विधायक वरिष्ठ नेता पी.सी. जॉर्ज ने कहा कि नियमों के अनुसार, राज्यपाल इसे सरकार को वापस भेज सकते हैं, लेकिन सरकार का निर्णय अंतिम है। जॉर्ज ने कहा, राज्यपाल को इसे स्वीकार करना होगा और अगर राज्यपाल को आपत्ति है, तो वह पहले वाक्य को पढ़ सकते हैं और फिर से कह सकते हैं कि बाकी… Continue reading केरल: सीएए को लेकर राज्यपाल, मुख्यमंत्री में टकराव बढ़ने के आसार
तिरूवनंतपुरम। संशोधित नागरिकता कानून, सीएए पर केरल की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार और राज्यपाल के बीच छिड़ा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्र सरकार के बनाए संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के अपील करने से नाराज राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सरकार से इस बारे में रिपोर्ट मांगी है। राज्यपाल ने सीएए के खिलाफ उन्हें बताए बिना सुप्रीम कोर्ट जाने पर सीपीएम के नेतृत्व वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट, एलडीएफ सरकार से रिपोर्ट तलब की है। राजभवन कार्यालय ने राज्य के मुख्य सचिव से इस बारे में रिपोर्ट देने को कहा है। राजभवन के एक जानकार सूत्र ने बताया है कि राज्यपाल कार्यालय ने सीएए के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में जाने के सरकार के कदम के बारे में उन्हें सूचित नहीं करने को लेकर मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है। गौरतलब है कि राज्यपाल और सरकार के बीच तभी से टकराव चल रहा है जब राज्य विधानसभा ने नए कानून को निरस्त करने के लिए पिछले महीने एक प्रस्ताव पारित किया था। आरिफ मोहम्मद खान ने नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले की सूचना उन्हें नहीं दिए जाने को लेकर सरकार से नाराजगी जताई थी। राज्यपाल ने एक दिन… Continue reading राज्यपाल ने मांगी केरल सरकार से रिपोर्ट
कई वर्षों से देश में बार-बार ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ और ‘असहमति के अधिकार’ का मुद्दा विपक्ष द्वारा उठाया जा रहा है। क्या मोदी सरकार में देश के भीतर ऐसा वातावरण बन गया है, जिसमें अन्य विचारों के प्रति असहिष्णुता बढ़ गई है? नववर्ष 2020 के मेरे पहले कॉलम में इस प्रश्न का जन्म केरल की उस घटना के गर्भ से हुआ है,
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के साथ ‘इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस’ के अधिवेशन में जो बर्ताव किया गया, क्या वह इतिहासकारों और विद्वानों के लिए शोभनीय है? यह ठीक है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे पद संवैधानिक होते हैं और इन पदों पर बैठे लोगों को रोजमर्रा की राजनीति में नहीं उलझना चाहिए लेकिन इसका अर्थ क्या यह है कि जिस कार्यक्रम में ऐसे उच्चपदस्थ व्यक्ति उपस्थित हों, उसमें अन्य वक्तागण अमर्यादित राजनीतिक भाषण झाड़ें और वह बैठा-बैठा सुनता रहे ? कम से कम आरिफ खान जैसे प्रखर विद्वान और तेजस्वी वक्ता से ऐसी आशा करना अनुचित है। इतिहास कांग्रेस के विद्वान कश्मीर-विलय या नागरिकता संशोधन कानून जैसे नाजुक और तात्कालिक मामलों पर संसद और सरकार को कोसें और बार-बार संविधान के उल्लंघन की डोंडी पीटें और उम्मीद करें कि वहां उपस्थित राज्यपाल जो कि एक संवैधानिक प्रमुख है, अपने मुंह पर पट्टी बांधे रहे, यह कैसे हो सकता है ? जब पहले दो वक्ताओं ने यह मर्यादा-भंग किया तो राज्यपाल आरिफ ने अपने भाषण में उनका पांडित्यपूर्ण जवाब देने की कोशिश की। इतिहासकारों को भारत-विभाजन का इतिहास उन्होंने दुबारा पढ़ा दिया। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में जब गांधी और मौलाना आजाद को उद्धृत किया तो एक इतिहासकार ने… Continue reading आरिफ खान पर इतिहासकारों का हमला
तिरुवनंतपुरम। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का समर्थन किए जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम.एम. हुसैन ने सोमवार को कहा कि राज्यपाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की तरह बर्ताव कर रहे हैं। पूर्व राज्यमंत्री और यहां के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष हसन ने कहा फिलहाल केरल इकाई में भाजपा के कोई भी प्रदेश अध्यक्ष नहीं हैं और राज्यपाल जिस तरह सीएए पर बोल रहे हैं, ऐसा लग रहा है कि वे ही भाजपा के वास्तविक प्रदेश अध्यक्ष हैं। वहीं इस बारे में खान ने सोमवार को कहा मुझे जो करना है वो मैं करूंगा। कानून पारित हो चुका है और इसका पालन करना मेरा कर्तव्य है। जो मेरी आलोचना कर रहे हैं, वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। इसे भी पढ़ें : झारखंड चुनाव में 14 पार्टियों को मिले 2 फीसद वोट