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01-07-2025 Vol 19

शंकर शरण

हिन्दी लेखक और स्तंभकार। राजनीति शास्त्र प्रोफेसर। कई पुस्तकें प्रकाशित, जिन में कुछ महत्वपूर्ण हैं: 'भारत पर कार्ल मार्क्स और मार्क्सवादी इतिहासलेखन', 'गाँधी अहिंसा और राजनीति', 'इस्लाम और कम्युनिज्म: तीन चेतावनियाँ', और 'संघ परिवार की राजनीति: एक हिन्दू आलोचना'।

संघ परिवारः मुस्लिम मोह में गिरफ्तार

इतिहास और वर्तमान, सभी दिखाते हैं कि यहाँ अधिकांश सूफी पक्के इस्लामी राजनीतिक रहे हैं। रिचर्ड ईटन की प्रसिद्ध पुस्तक 'सूफीज ऑफ बीजापुर'  में सदियों के वर्णन है।

धर्म नीचे, मूर्ति ऊपर!

कारण जो भी हो, यह कहना सर्वथा उचित है कि जगह-जगह हिन्दू महापुरुषों, आचार्यों की मूर्तियाँ लगाने में उन्हें धर्म या समाज की कोई चिन्ता नहीं।

भाजपा बनाम इन्डिया: गलती कहाँ?

अभी 'इन्डिया' बनाम भारत’ विवाद में भी, भाजपाई प्रचारक इन्डिया शब्द को गुलामी का प्रतीक, और यह शब्द अपनाने के लिए विपक्षी दलों को अंग्रेजों का पिट्ठू बताने में...

लोकतंत्र का सच झूठ

हमारे कुछ लोग विदेशी नेताओं के जमावड़े में भारत के लोकतंत्र का गौरव बखानने की तैयारी कर रहे हैं। इस दावे से कि भारत में ही लोकतंत्र पैदा हुआ,...

डफर संस्कृति का गौरव!

यदि हमारे प्रायोजित बॉन्ड महोदय इस मतवाद को सचमुच जानते, तो इसे भारतीय संस्कृति का गौरव कहकर अपने देशवासियों को अपमानित नहीं करते।

‘कठुआ वाली लड़की’: गजवा-ए-हिन्द का नया अध्याय

उस से भी अधिक अविश्वसनीय ‘कठुआ वाली लड़की’ की घटना है। जनवरी 2018 में जम्मू के रसाना गाँव में एक मुस्लिम बालिका की लाश निकट जंगल में मिलती है।

संघ परिवार: निर्बलता का प्रसार

संघ-भाजपा अपने आई.टी. सेल द्वारा सोशल मीडिया पर, तथा अपने संगठन-पार्टी के सदस्यों के बीच जो भी मौखिक मिथ्या प्रचार, दोषारोपण, और आडंबर करते हैं, वह समाज को कमजोर...

जाबी लगे घोड़ों की चारागाह

लोकतंत्र को वैसे भी ‘मूर्खों का शासन’ कहा गया है। उस में भी भारत में भक्ति-तमाशा राजनीति की परंपरा ने उसे और कर्महीन बना डाला है।

कौन भ्रष्टाचार खत्म करना चाहता है?

भारत में कुछ सत्ताधारी दलों द्वारा भ्रष्टाचार को ऐसा संगठित रूप दे दिया गया है, जिस में ‘पार्टी के लिए’ अरबों-खरबों का भ्रष्टाचार कराने वाले भी स्वच्छ कहे जाते...

हेट-स्पीच पहले परिभाषित तो करें!

यहाँ दशकों से आम दृश्य है कि विशेष समूहों, दलों की ओर से जाति, वर्ग, धर्म, आदि संबंधित कितने भी उत्तेजक भाषण क्यों न हों, उस पर तीनों शासन...

तो कांग्रेस ही राजनीति का मानदंड है!

बरसों से विचित्र दृश्य है कि भाजपा एक ओर ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ की बात करती है, लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस ही उस के सिर पर चढ़ी हुई आदर्श प्रतीत होती...

संघ परिवार : ब्राह्मण-विरोध की धार

संघ नेता एक हानिकारक गतिविधि में मशगूल हैं। भाजपा सत्ताधीशों ने उन्हें कुछ क्षेत्रों में विशेषाधिकार दे रखा है।

वात्स्यायन जी (अज्ञेय) और दिल्ली

उन का डेरा, या ठौर-ठिकाना सब से अधिक समय और सब से अधिक प्रकार के डेरों में दिल्ली ही रहा।

डॉ हेडगेवार और रा. स्व. संघ: कहाँ से चले, और कहाँ पहुँचे? (3)

हेडगेवार की इस आधिकारिक जीवनी से गत नौ दशकों के अनुभवों का मिलान करके एक संक्षिप्त निष्कर्ष तो मिलता ही है: नौ दिन चले, अढ़ाई कोस!

डॉ हेडगेवार और रा. स्व. संघ: कहाँ से चले, और कहाँ पहुँचे? (2)

चाहे आज पूरे देश पर उन के स्वयंसेवकों की सत्ता क्यों न हो! पर वे आज भी मानो बचकर, छिपकर, अंतर्विरोधी, दोमुँही बातें बोलकर ही सब कुछ करते हैं।

डॉ हेडगेवार और रा. स्व. संघ: कहाँ से चले, और कहाँ पहुँचे?

डॉ. हेडगेवार ने, जाने-अनजाने, इस भ्रम का निराकरण नहीं किया कि संघ अपने आरंभिक कार्य - हिन्दू समाज के शत्रुओं से सीधे लड़ना - छोड़ चुका है।

बी.बी.सी. से नाहक नाराजगी!

एक डॉक्यूमेंटरी बनाने पर बी.बी.सी. से नाराजगी जताना भारत के लिए सम्मान की बात नहीं। वह एक विश्व-प्रतिष्ठित, पुरानी समाचार-सेवा है।

संविधान के मूल ढाँचे की व्यर्थ बहस

किसी भवन के बनने और उपयोग के दशकों बाद उस की नींव में हेर-फेर कर परिवर्तित नींव को ‘मूल नींव’ कहना सीधे-सीधे गलतबयानी होगी।

चंद्रशेखर मजे में, नुपूर खतरे में – क्यों?

स्वतंत्र भारत में यह आम दृश्य है कि हिन्दू धर्म, जाति, आदि पर कितने भी घटिया और गलत भाषण भी क्यों न दिए जाएं, उस पर सभी उच्च निकाय...

स्वामी विवेकानन्द: व्यवहारिक जीवन के शिक्षक

विवेकानन्द ने ऐसी अनेक सीख दी, जो नित्यप्रति जीवन में काम आने वाली है। जैसे, उन्होंने कहा था कि ‘किसी कठिनाई से भागो नहीं’।

संघ परिवार: अब कुरान का प्रचार!

अभी नागपुर विश्वविद्यालय में चल रही 108 वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में रा.स्व.संघ के शिक्षण मंडल की संस्था ‘रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन’ ने सोने की स्याही से लिखी एक...