नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हारने के बाद उसकी तमाम सहयोगी पार्टियां मुखर हो गई हैं। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल कई पार्टियों ने कांग्रेस पर सवाल उठाए तो गठबंधन से बाहर की पार्टियों ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा। उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कांग्रेस पर तंज किया तो ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने भी कांग्रेस को निशाना बनाया।
उद्धव ठाकरे की शिव सेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा कि कांग्रेस जीत को हार में बदलना जानती है। शिव सेना ने लिखा है- हरियाणा की हार से कांग्रेस को सीख लेने की जरूरत है। हरियाणा की हार कांग्रेस के अति आत्मविश्वास और राज्य के नेताओं के अहंकार का नतीजा है। हुड्डा ने गैर जाट मतदाताओं को साथ नहीं लिया, जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा। इसके बाद शिव सेना नेता संजय राउत ने कहा है- अगर कांग्रेस महाराष्ट्र में अकेले चुनाव लड़ना चाहती है तो पहले बता दे। राउत ने कहा कि भाजपा ने हारी हुई बाजी जीत ली। हर कोई मानता था कि कांग्रेस जीत रही है लेकिन वह फिर भी हार गई। भाजपा जीती क्योंकि उसके पास एक सिस्टमैटिक मैनेजमेंट है।
जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा- कांग्रेस को गहराई से सोचने की जरुरत है। उमर ने कहा- कांग्रेस को हरियाणा में अपनी हार के कारणों का पता लगाने के लिए गहराई से सोचना होगा। मैंने पहले ही कहा था कि हम इन एक्जिट पोल्स पर भरोसा करके अपना समय बरबाद कर रहे हैं। किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक्जिट पोल इतने गलत होंगे। 30, 60 बन गए और 60, 30 बन गए।
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेता साकेत गोखले ने कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा कि अहंकार और क्षेत्रीय दलों को हीन दृष्टि से देखना हार का कारण बना। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने नतीजों के तुरंत बाद कहा था कि किसी को चुनाव में हलके में नहीं लेना चाहिए। केजरीवाल ने कहा- देखिए, हरियाणा में चुनाव के नतीजे क्या रहते हैं। सबसे बड़ा सबक यही है कि किसी को भी चुनाव में अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए। किसी चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हर चुनाव और हर सीट मुश्किल होती है।