budget 2025 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में नौ बार बिहार का नाम लिया। वित्त मंत्री ने बिहार की मिथिल पेंटिंग वाली साड़ी पहन कर बजट भाषण दिया।
वित्त मंत्री ने बिहार को बजट में बहुत कुछ दिया। केंद्रीय गृह मंत्री ने सोशल मीडिया में अलग से पोस्ट किया कि बजट में बिहार को क्या क्या दिया गया है।
बिहार के बारे में हुई घोषणाओं की मीडिया में अलग से कवरेज की गई। लेकिन सवाल है कि बिहार को सचमुच मिला क्या है?
क्या सचमुच वहां कायाकल्प करने वाली कोई बड़ी घोषणा की गई है? कोई बहुत बड़ा पैकेज मिला है? ऐसा कुछ नहीं है।
सिर्फ कुछ घोषणाएं हैं, जिन पर कब तक अमल होगा यह किसी को पता नहीं है क्योंकि बजट में नहीं बताया गया है कि जो घोषणाएं हुई हैं उन पर कब तक अमल होगा और उन पर कितना रुपया खर्च किया जाएगा।
सारी घोषणाएं अंतहीन इंतजार का सिलसिला हैं। परंतु इस बीच बिहार पर हमले शुरू हो गए हैं।(budget 2025)
तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी के सांसद हमला कर रहे हैं तो सोशल मीडिया में बिहार कथित समझदार और घोषित नासमझ लोगों के निशाने पर है।
also read: बिहार में भी मिथिला पर फोकस
बिहार को असल में कुछ नहीं मिला
बहरहाल, बिहार को असल में कुछ नहीं मिला है, ऐसा मानने का कारण यह है कि पिछले साल जुलाई में यानी महज छह महीने पहले नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार के पहले बजट में बिहार के लिए 60 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की गई थी और उससे बिहार में क्या हुआ, यह किसी को पता नहीं है।
असल में पहली बार नरेंद्र मोदी ने सहयोगी पार्टियों के समर्थन से सरकार बनाई थी और उसमें बिहार की पार्टी जनता दल यू के 12 सांसदों का योगदान बहुत अहम है।
इसलिए बजट प्रावधानों और आवंटनों के अलावा 60 हजार करोड़ रुपए का विशेष पैकेज घोषित हुआ। परंतु पिछले छह महीने में वह पैसा केंद्र से गया या नहीं और गया तो किस मद में गया और उसे उसी मद में खर्च किया गया या नहीं, यह पता नहीं है।
तभी इस बार की घोषणाओं को लेकर भी संशय है। वैसे भी इस बार घोषणाएं ऐसी हैं, जिन पर अमल मुश्किल ही दिख रहा है।(budget 2025)
केंद्र सरकार ने बिहार में ग्रीनफील्ड हवाईअड्डा बनाने का ऐलान किया है। ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का मतलब होता है कि सरकार को शून्य से शुरू करना है और बिल्कुल नया हवाईअड्डा बनाना है।
उसके लिए सबसे पहली जरुरत जमीन की है। बिहार में जमीन की इतनी किल्लत है कि केंद्र सरकार की ओर से प्रस्ताव दिए जाने के बावजूद नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय नहीं खुलते हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ मना किया हुआ है कि सरकार जमीन नहीं दे सकती है क्योंकि जमीन नहीं है।
बिहार के उपेंद्र कुशवाहा, जब केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री थे तब वे दो केंद्रीय विद्यालय खुलवाना चाहते थे लेकिन उनके अनशन करने के बावजूद जमीन नहीं मिली।
घोषणाएं बहुत, ज़मीनी हकीकत अधूरी(budget 2025)
सो, हवाईअड्डा बनाने के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन कहां से आएगी, उसका अधिग्रहण कैसे होगा और उस पर कितना खर्च होगा, यह बड़ा सवाल है।
ध्यान रहे मनमोहन सिंह की सरकार में 2012 में बिहार को दो केंद्रीय विश्वविद्यालय दिए गए थे लेकिन 13 साल बाद आज तक किसी का निर्माण नहीं हुआ है क्योंकि जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पा रहा था।
एक केंद्रीय विश्वविद्यालय तो सरकारी जिला स्कूल के हॉस्टल में चल रहा है। सो, एयरपोर्ट की घोषणा को गंभीरता से लेने की जरुरत नहीं है।
अगर सरकार सचमुच गंभीर होती तो पटना, दरभंगा और गया में चल रहे हवाईअड्डे को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाती।(budget 2025)
वहां बुनियादी सुविधाएं विकसित करती और विमानों का परिचालन सुनिश्चित किया जाता। लेकिन उससे माहौल नहीं बनता। माहौल बनाने के लिए नए एयरपोर्ट घोषित किए गए हैं।
इसी तरह वित्त मंत्री ने कहा कि मखाना बोर्ड बनाया जाए। इस नाम पर अगले ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में चुनावी सभा में वोट भी मांगा।
लेकिन सवाल है कि मखाना बोर्ड बनाने से क्या होगा? हकीकत यह है कि बिहार के जिस एक उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिल गई है वह मखाना है।
सोशल मीडिया और फूड इन्फलूएंसर्स की वजह से मखाना सुपर फूड का दर्जा पा गया है और देश दुनिया में उसकी बिक्री हो गई है
इसलिए उसकी बजाय बिहार के चावल, मक्का, मछली और सब्जियों की बेहतर मार्केटिंग की व्यवस्था करनी थी।(budget 2025)
घोषणाओं की भरमार
परंतु उस बारे में नहीं सोचा गया। अब मखाना बोर्ड बनने का मतलब होगा कि कहीं किराए की एक इमारत ली जाएगी, जिसमें इसका कार्यालय बनेगा, जिसके अध्यक्ष नियुक्त होंगे, सदस्यों की नियुक्ति होगी और ढेर सारे कर्मचारी रखे जाएंगे।
लेकिन उससे मखाना की खेती और मार्केटिंग में कोई गुणात्मक परिवर्तन आएगा, यह नहीं कहा जा सकता है। वैसे भी बिहार में सिर्फ 25 हजार किसान मखाना की खेती करते हैं और वह भी एक क्षेत्र विशेष में होता है।
सोचें, बिहार में दो करोड़ रजिस्टर्ड किसान हैं, जिनमें से सिर्फ 25 हजार किसान करीब 40 हेक्टेयर जमीन पर मखाना की खेती करते हैं।(budget 2025)
इसी तरह नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी का भी मामला है। वह इंस्टीच्यूट भी किराए की किसी इमारत में चलेगा। इसमें भी नियुक्तियां होंगी फिर उसकी बिल्डिंग के लिए जमीन की तलाश शुरू होगी।
बरसों या दशकों तक तदर्थ व्यवस्था में यह इंस्टीच्यूट चलेगा, जैसे पिछले 13 साल से केंद्रीय विश्वविद्यालय चल रहे हैं। ऐसे ही पश्चिमी कोशी नहर परियोजना की घोषणा हुई है।
लेकिन इसके लिए भी जमीन अधिग्रहण सबसे बड़ी चुनौती होगी। बिहार में पहले से बने नहर सफाई नहीं होने से भर गए हैं और उनमें पेड़ उग गए हैं।
उनकी सफाई करने की बजाय एक नए नहर का ऐलान कर दिया गया और यह नहीं बताया गया कि इसके लिए कितने पैसे आवंटित हुए हैं और कब तक इसका काम पूरा होगा।(budget 2025)
असल में वित्त मंत्री ने जितनी घोषणाएं की हैं उनसे बिहार को तत्काल कोई फायदा नहीं होने वाला है और न रोजगार में बढ़ोतरी होनी है और न पलायन रूकने वाला है।
परंतु अपने राजनीतिक फायदे के लिए केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने बिहार को फायरिंग लाइन में ला दिया। देश के दूसरे राज्यों के नेता बिना सोचे समझे बिहार और बिहारियों पर हमला कर रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, बिहार, बिहार, बिहार… बजट 2025। सोचें, वे पढ़ी लिखी महिला हैं लेकिन उनका बिहार बैर इस तरह से जाहिर हुआ।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने संसद परिसर में बयान दिया कि सरकार ने चुनाव को ध्यान में रख कर बिहार को बहुत कुछ दिया है। इससे केंद्र सरकार और भाजपा का एजेंडा तो पूरा हो गया।
उन्होंने यह मैसेज बनवा दिया कि दूसरे राज्यों और पार्टियों की नाराजगी मोल कर बिहार को बहुत कुछ दिया गया है।(budget 2025)
अब बिहार के लोग केंद्र सरकार और भाजपा को डिफेंड करने में लगे हैं और कह रहे हैं कि ‘बिहार को उसका हक मिला है’ या ‘क्या हो गया, जो बिहार को इतना कुछ मिला है’।
वे भोले लोग भी नहीं समझ रहे हैं कि असल में कुछ नहीं मिला है और मिलने का जो हल्ला मचा है वह सरकार व भाजपा ने मचवाया है ताकि राजनीतिक लाभ लिया जाए।
सोचें, पिछले छह महीने में आंध्र प्रदेश को करीब तीन लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त विशेष पैकेज मिला है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मुंह से पिछले दिनों कहा कि दो लाख करोड़ का पैकेज दिए हैं।
लेकिन तृणमूल कांग्रेस या कांग्रेस सहित किसी पार्टी के नेता ने इस पर सवाल नहीं उठाया कि आंध्र प्रदेश को इतना क्यों दिया जा रहा है।(budget 2025)
लेकिन बिहार को लेकर सिर्फ घोषणाएं हुई हैं और सबके पेट में मरोड़ उठने लगी। यह बिहार से बैर है या भाजपा से मिलीभगत है, जो उसका एजेंडा पूरा करने के लिए इसे इतना बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है?