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31-07-2025 Vol 19

जहां प्रयास बेअसर वहां नए चेहरे आएंगे नजर

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भोपाल। किसी ने ठीक ही कहा है कि इतनी भी देरी मत करो वापस लौटकर आने में चाबियां भी बेसर हो जाए तालों पर। जी हां, कुछ ऐसी ही स्थिति भाजपा के विधायकों, मंत्रियों और कांग्रेस के विधायकों के खिलाफ जनता की नाराजगी में इतनी जड़ता आ गई है कि अब तक के प्रयास बेअसर साबित हो रहे हैं और अब भाजपा के लगभग 50 और कांग्रेस के लगभग 35 विधायकों के टिकट कट सकते हैं। इन विधायकों के बारे में यह भी सर्वे रिपोर्ट में संकेत मिल रहा है कि यदि ये दल बदल कर भी किसी अन्य दल से लड़े तब भी इनका जीतना मुश्किल है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश की सियासत में इस समय हड़कंप जैसी स्थिति है।

दरअसल, प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 बेहद संघर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस अधिकतम ताकत इन चुनाव को जीतने के लिए लगा रहे हैं। अपने दल की और संभावित प्रत्याशियों की जनता के बीच नब्ज टटोलने का इतना सघन प्रयास शायद ही पहले कभी हुआ हो और बार-बार लिए जा रहे इन सर्वे सैंपल के आधार पर रणनीति बन रही है क्योंकि मतदाता भी झूलता नजर आ रहा है। कभी-कभी तो बराबरी की स्थिति बनती है तो कभी बीजेपी आगे तो कभी कांग्रेस और जिस तरह से दोनों दल प्रयास कर रहे हैं उससे यह स्थिति मतदान के दिन तक बनी रह सकती है क्योंकि प्रयास भी ऐसे की जिसकी किसी ने कल्पना ना कि हो।

बहरहाल, भाजपा और कांग्रेस ने लगभग एक वर्ष पहले से अपने विधायकों को आगाह कर दिया था कि वे क्षेत्र में सक्रिय रहे। कार्यकर्ताओं के काम करें और आम जनता के बीच लोकप्रिय छवि बनाएं लेकिन बहुत कम विधायक इन प्रयासों में सफल हुए हैं। अधिकांश के खिलाफ तमाम प्रयासों के बावजूद एंटी इनकंबेंसी अभी भी है और यही कारण है कि आप दोनों ही राजनीतिक दल अब ऐसे विधायकों के टिकट काटने जा रहे हैं जो अब तक अपनी स्थिति क्षेत्र में नहीं सुधर पाए। सूत्रों की माने तो भाजपा में लगभग 55 विधायकों के टिकट कर सकते हैं जिनमें 15 के करीब मंत्री है। वहीं कांग्रेस में लगभग 35 विधायकों की टिकट कट सकते हैं क्योंकि दोनों दलों के 90 के लगभग यह विधायक अपने-अपने क्षेत्र में इतने अलोकप्रिय हो गए हैं कि तमाम प्रकार के प्रयास भी बेअसर साबित हो रहे हैं। दोनों ही दलों ने सर्वे में यह भी समझा कि यदि इन विधायकों के टिकट काट देंगे तो यह किसी और दल से भी लड़ेंगे तब भी नहीं जीतेंगे। यही कारण है कि पार्टी उनकी चिंता नहीं कर रही है जबकि इस समय दलबदल बेधड़क चल रहा है। खासकर भाजपा के विधायक पूर्व विधायक पार्टी छोड़ने में संकोच नहीं कर रहे हैं। आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज नेता कांग्रेस ज्वाइन करने वाले हैं। आज ही से कांग्रेस की तीन दिन की महत्वपूर्ण बैठक शुरू होने जा रही है और इसके बाद माना जा रहा है कि लगभग 75 सीटों पर पार्टी प्रत्याशी घोषित कर सकती है जबकि भाजपा अपनी दूसरी सूची कभी भी जारी कर सकती है।

कुल मिलाकर जिस तरह से भाजपा और कांग्रेस ने अपने विधायकों के टिकट काटने का मन बना लिया है उससे सियासत में हड़कंप की स्थिति है और यह भी माना जा रहा है कि अब दलबदल का खेल तेजी से शुरू होगा। भाजपा और कांग्रेस में सैचुरेटेड स्थिति आ जाने के कारण दलबदल करने वालों का रुख बसपा, आप और सपा की तरफ होगा। यह भी माना जा रहा है कि इस बार नए चेहरों पर ऐसी सीटों पर दांव लगाया जाएगा। जहां वर्तमान विधायकों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है। यह भी सही कहा है किसी ने कि “विश्वास का वह फूल जो झड़ गया दिल की शाख से फिर किसी भी जतन से वह दोबारा लगाया नहीं जाता”।

देवदत्त दुबे

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