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01-07-2025 Vol 19

सोशल मीडिया का जंग बहादुर!

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एक तरफ जहां पाकिस्तान में आम लोगों ने सोशल मीडिया को अपनी सरकार का मजाक बनाने के लिए इस्तेमाल किया है तो दूसरी ओर भारत में सोशल मीडिया जंग का मैदान बना हुआ है। सारी लड़ाई सोशल मीडिया में हो रही है। वैसे सेना के हिस्से की लड़ाई मीडिया में भी लड़ी गई है। भारत के न्यूज चैनलों ने पिछले 10 दिन में पाकिस्तान को कई बार तबाह कर दिया है। भारत के न्यूज चैनलों पर अनेक बार पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल आसीम मुनीर और लश्कर ए तैयबा के खात्मे की उलटी गिनती शुरू होकर खत्म हो चुकी है। पता नहीं भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल को जानकारी है या नहीं लेकिन भारत के कई चैनलों ने बताया है कि जनरल मुनीर रावलपिंडी के किस इलाके के कौन से बैंकर में छिपा हुआ है। कुछ चैनलों और सोशल मीडिया हैंडल्स ने तो यह भी बताया है कि वह अमेरिका के किस शहर में गोल्फ खेलता पाया

गया है।

इसी तरह कई चैनलों और सोशल मीडिया हैंडल्स ने लश्कर ए तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद की लोकेशन भी बताई है। कहा जा रहा है कि स्पेशल सर्विस ग्रुप के कमांडो उसकी सुरक्षा कर रहे हैं। वैसे अक्षय कुमार और अनुपम खेर एक फिल्म में हाफिज सईद को पाकिस्तान से उठा कर भारत ला चुके हैं। लोग उसी से खुश थे। कई चैनलों ने पाकिस्तानी सेना के ठिकानों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के मुख्यालय को तबाह करने का रोडमैप भी दिखाया है। सरकार ने एक दिशा निर्देश भी जारी किया लेकिन पाकिस्तान को तबाह, बरबाद करने के जुनून में चैनलों ने उस पर ध्यान नहीं दिया है। सरकार भी दिशा निर्देशों पर अमल इसलिए नहीं करवा रही है कि उसको लग रहा है कि चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चल रही लड़ाई से भारत के लोगों का गुस्सा शांत हो जाएगा। उनको चैनलों पर भारतीय सेना की कार्रवाई का जो ब्लूप्रिंट दिखाया जा रहा है उससे भरोसा होगा कि सरकार कुछ कर रही है और इसका फायदा यह होगा कि जब कहा जाएगा कि कुछ हो गया तो उनको यकीन हो जाएगा कि हां सचमुच को पाकिस्तान को रौंद डाला गया।

भारत के सोशल मीडिया में एक तरफ जंग का ऐलान है तो दूसरी ओर सरकार के विरोधियों द्वारा उकसाने और ललकारने वाली पोस्ट है। एक तरफ भक्त मंडली है, जो लग रहा है कि कुछ बड़ा होने वाला है। इस मंडली ने ‘हैशटैग मुनीरआउट’ ट्रेंड कराया। ‘जनरल मुनीर हैज गॉन एमआईए’ भी ट्रेंड कराया गया। एमआईए का मतलब है जनरल मिसिंग इन एक्शन। भारत में सोशल मीडिया के जरिए इसका इतना प्रचार हुआ कि पाकिस्तान सरकार को जनरल मुनीर की तस्वीरें और वीडियो जारी करनी पड़ी। पाकिस्तान की ओर से दिखाया गया कि वे 26 अप्रैल को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मिले हैं। लेकिन भारत में सोशल मीडिया ने इस पर यकीन नहीं किया, बल्कि इसे फर्ज और एआई जेनेरेटेड फोटो बताई गई। भारत के सोशल मीडिया ने स्थापित कर दिया है कि पाकिस्तानी  मुनीर के बाद सोशल मीडिया का पसंदीदा निशाना लश्कर ए तैयबा की संस्थापक हाफिज सईद है। लिखा जा रहा है कि डर के मारे उसकी हालत खराब है और वो सेना के संरक्षण में छिपा हुआ है।

वैसे आधिकारिक रूप से वह गिरफ्तार है और पाकिस्तान की हिरासत में है लेकिन हकीकत सबको पता है। एक भक्त मंडली ने तो यह खबर प्रसारित कराई कि भारत द्वारा तय किया गया टारगेट सामने आ गया है। उसके मुताबिक टारगेट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मदरसे और आतंकवादी शिविर हैं। मीडिया में खबर आई है कि पाक अधिकृत कश्मीर में एक हजार मदरसे बंद कर दिए गए हैं क्योंकि उनको पता चल गया है कि भारत हमला करने वाला है। मोदी और योगी समर्थक एक समूह कई दिन पहले लीपा घाटी में स्थित पाकिस्तान के सैन्य ठिकाने और हथियार डिपो को नष्ट करा चुका है। एक सोशल मीडिया अकाउंट ने कई दिन पहले लिखा कि आतिशबाजी शुरू हो गई है। एक समूह, जिसके लोग समझदार होने का दावा करते हैं वे इंतजार करने को कह रहे हैं और उनके हिसाब से इस बार ऐसी कार्रवाई होगी, जैसी पहले कभी नहीं हुई होगी।

असल में आईएएस की कोचिंग कराने वाले एक शिक्षक ने कहा है कि, ‘पाकिस्तान गर्भवती है और कभी भी बलूचिस्तान का जन्म हो सकता है’। शिक्षक महोदय बरसों से भाजपा के इकोसिस्टम के निशाने पर हैं और रामचरितमानस पर उनकी टिप्पणियों को लेकर बड़ा विवाद हुआ था। लेकिन उनकी यह बात पसंद आ गई तो भक्त मंडली के लोग इसे ट्रेंड करा रहे हैं। एक समूह व्हाट्सऐप ग्रुप में क्रोनोलॉजी भेज रहा है, जिसके मुताबिक पहले बलूचिस्तान अलग होगा, फिर पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत का कब्जा होगा, फिर सिंध अलग होगा।

सरकार समर्थकों का एक बड़ा समूह इस बात से आहत है कि पाकिस्तान के साथ तनातनी के बीच सरकार ने क्यों जाति गणना का ऐलान किया? इस समूह के लोग फेसबुक और एक्स के साथ साथ व्हाट्सऐप फॉरवर्ड में काफी दुखी दिख रहे हैं। जैसे एक ने लिखा, ‘पाकिस्तान के जनरल पर स्ट्राइक करना था तो भारत के जनरल पर स्ट्राइक कर दिए’। भारत के जनरल का मतलब सामान्य वर्ग यानी अगड़ी जातियों से है। किसी अन्य ने लिखा, ‘आतंकियों ने धर्म पूछ कर मारा, अब मोदी जी जाति पूछ रहे हैं, मारे सब जाएंगे’। फिर एक व्हाट्सऐप फॉरवर्ड है कि, ‘पहले धर्म के नाम पर बांटा, अब जाति के नाम पे, एक मौका और… गोत्र के नाम पर बांट देंगे, बंटेंगे सिर्फ हिंदू ही, बाकी सब एकजुट हैं’।

दूसरी ओर सोशल मीडिया में सक्रिय भाजपा विरोधी इकोसिस्टम है, जिसके लोग सरकार को ललकार रहे हैं या शिकायत कर रहे हैं। एक समूह ने लिखा कि 10 दिन हो गए अभी तक न तो पहलगाम हमला करने वाले में किसी को पकड़ा जा सका है, न तो एक बार भी प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का नाम लिया है और न कोई सैन्य कार्रवाई हुई है। इस समूह के ज्यादातर लोग यह दावा कर रहे हैं कि देश इस समय मोदी के साथ है इसलिए उनको कार्रवाई करनी चाहिए। कार्रवाई होने पर सवाल उठाने और उसकी आलोचना करने वाला समूह अभी सरकार को कार्रवाई के लिए उकसा रहा है।

राजनीति में कोई काम अनायास नहीं होता है और अगर दिखे कि अनायास हुआ है तो समझना चाहिए कि उसे वैसे ही प्लान किया गया है। यह बात अमेरिका के एक राष्ट्रपति ने कही थी। भारत में भी ऐसा ही होता होगा लेकिन अब भारत की राजनीति में आपदा को अवसर बनाने का एक नया तत्व शामिल हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना की आपदा को अवसर बना कर बहुत काम किए। उसी समय पेट्रोल और डीजल पर टैक्स इतना बढ़ाया गया कि आज तक कच्चा तेल सस्ता होने का लाभ देश के लोगों को नहीं मिल रहा है। उसी समय रेलवे में बुजुर्गों, बीमारों, पत्रकारों आदि को मिलने वाली सारी छूट समाप्त कर दी गई थी। ऐसे अनेक काम हुए थे। अब पहलगाम में बेकसूर भारतीय सैलानियों पर हुए आतंकवादी हमले की आपदा को भी अवसर में बदला जा रहा है। तभी प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के मधुबनी जाकर भाषण दिया और पहलगाम के आतंकवादियों को कल्पनातीत सजा देने की बात कही। हालांकि घटना के 10 दिन बाद भी लोग सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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