बिहार में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है। किसी समय नीतीश कुमार के नंबर दो रहे जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और नरेंद्र मोदी सरकार में स्टील मंत्री रहे रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी का विलय जनसुराज पार्टी में कर दिया है। वे पूरी पार्टी के साथ प्रशांत किशोर की पार्टी में शामिल हो गए हैं।
यह हाल के दिनों का सबसे बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम है। आरसीपी सिंह अपनी पार्टी बना कर या उससे पहले थोड़े समय भाजपा से जुड़ कर ज्यादा प्रभावी राजनीति नहीं कर पाए थे लेकिन उनके प्रशांत किशोर के साथ जुड़ने से बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। ध्यान रहे आरसीपी सिंह ने 2015 से 2020 के बीच जदयू के संगठन की ओवरहॉलिंग की थी। उन्होंने जिला व प्रखंड स्तर तक संगठन बनाया था। वे हर जिले और प्रखंड में लोगों के संपर्क में हैं। इससे प्रशांत किशोर को बहुत लाभ मिलेगा।
आरसीपी ने बदली बिहार की राजनीति
आरसीपी सिंह ने संगठन के अलावा जदयू का वॉर रूम संभाला हुआ है और बिहार की नौकरशाही पर उनकी मजबूत पकड़ रही है। वे प्रशांत किशोर की रणनीति और बैकरूम कामकाज संभाल सकते हैं। उनके आने से प्रशांत किशोर की अगड़ा राजनीति भी संतुलित होगी। अभी तक उनको सवर्ण नेता के तौर पर देखा जा रहा था और माना जा रहा था कि पिछड़े उनके साथ नहीं जुड़ेंगे। लेकिन आरसीपी के आने से एक बड़ा पिछड़ा चेहरा उनको मिल गया है।
आरसीपी नालंदा से आते हैं, जो नीतीश का गृह जिला है और वे उन्हीं की कुर्मी जाति से आते हैं। बिहार के कई जिलों खास कर मगध में नालंदा, नवादा, मुंगेर, खगड़िया आदि में कोईरी, कुर्मी और धानुक के बीच उनकी अच्छी पकड़ है। नीतीश की स्थिति दिनोंदिन खराब हो रही है ऐसे में उनकी जगह लेने के लिए एक मजबूत दावेदार के तौर पर आरसीपी उभरेंगे।
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