मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की कई पार्टियों ने उम्मीदवार उतारे हैं। इसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। ध्यान रहे मध्य प्रदेश में पिछली बार भाजपा और कांग्रेस के बीच बहुत कम वोट का अंतर था। और यह भी आंकड़ा है कि कांग्रेस कम वोट के अंतर से जीती हुई 75 फीसदी सीटें अगले चुनाव में हार जाती है। इस नाते विपक्षी गठबंधन की पार्टियों के चुनाव लड़ने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान होने की संभावना है। पहले आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। फिर समाजवादी पार्टी ने कई सीटों पर प्रत्याशी उतार दिया और अब नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू ने पांच सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। जदयू के और भी उम्मीदवार मैदान में आ सकते हैं। पहली सूची में जो पांच नाम हैं उनमें से चार पिछड़ी जाति के हैं।
कांग्रेस के लिए यह भी चिंता की बात है क्योंकि कांग्रेस ने जाति गणना कराने और आरक्षण आदि बढ़ाने की बात तो कही है कि लेकिन पिछड़ी जातियों को उनकी आबादी के अनुपात में बहुत कम टिकट दी है। तभी जदयू के पिछड़ी जाति के उम्मीदवार वोट का नुकसान कर सकते हैं। सपा के भी ज्यादातर उम्मीदवार पिछड़ी जाति के हैं। कांग्रेस को उससे भी नुकसान का अंदेशा है। संभवतः इसलिए दिग्विजय सिंह ने कहा है कि उन्होंने कमलनाथ से कहा था कि सपा को चार सीटें दी जा सकती हैं लेकिन पता नहीं बाद में क्या हुआ। बसपा अलग गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ रही है। सो, सपा, बसपा, जदयू, आप आदि पार्टियों के उम्मीदवार कुछ भी वोट काटते हैं तो कांग्रेस पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। धारणा के स्तर पर भी पिछड़ी जाति के कम उम्मीदवार देने से कांग्रेस का माहौल बिगड़ रहा है। हालांकि भाजपा ने भी पिछड़ी जाति के कम ही उम्मीदवार दिए हैं लेकिन उसने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरह पिछड़ी राजनीति का माहौल नहीं बनाया है।