कांग्रेस पार्टी के सांसद शशि थरूर की अपनी पार्टी से दूरी बढ़ रही है और केंद्र सरकार व भाजपा से नजदीकी बढ़ रही है। लेकिन सवाल है कि इसका क्या फायदा होगा? क्या भाजपा उनको केंद्र सरकार में मंत्री बना देगी या केरल में मुख्यमंत्री का दावेदार बना कर पेश करेगी? इसमें संदेह है। अगर वे भाजपा में जाते हैं तो उनको तिरूवनंतपुरम से इस्तीफा देना होगा। पिछली बार इस सीट पर चुनाव में भाजपा के राजीव चंद्रशेखर ने उनको कड़ी टक्कर दी थी।
वे अब प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं और उन्होंने राज्य में भाजपा की सरकार बनाए बगैर राज्य नहीं छोड़ने का ऐलान किया है। दूसरी ओर मशहूर अभिनेता सुरेश गोपी ने केरल में पहली बार भाजपा का खाता खोला और लोकसभा चुनाव जीते। सो, राजीव चंद्रशेखऱ और सुरेश गोपी की कड़ी चुनौती है।
शशि थरूर की भाजपा नजदीकी
फिर भी केरल का मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा में शशि थरूर अपनी पोजिशनिंग कर रहे हैं। उन्होंने राज्य की सीपीएम सरकार के खिलाफ भी बयानबाजी शुरू कर दी है। ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देने के लिए एक डेलिगेशन लेकर दुनिया के देशों के दौरे पर गए थरूर ने सवाल उठाया है कि केरल सरकार ने भूकंप के समय तुर्की को 10 करोड़ रुपए की मदद क्यों दी थी। यह मानवीय मदद थी, जिस पर शायद ही कोई समझदार व्यक्ति सवाल उठाएगा।
सीपीएम की ओर से कहा गया है कि केंद्र सरकार ने तुर्की की मदद के लिए ऑपरेशन दोस्त शुरू किया था और केंद्र की मंजूरी से, विदेश मंत्रालय के जरिए ही केरल सरकार ने तुर्की को मदद भेजी थी। जाहिर है थरूर अब अपनी हिंदू इमेज मजबूत करने की योजना पर काम कर रहे हैं। जबकि राजीव चंद्रशेखर और सुरेश गोपी की इमेज पहले से बनी हुई है। वैसे थरूर के पास एक सर्वे रिपोर्ट है, जो उन्होंने राहुल गांधी को भी दिखाई थी। उसमें बताया गया है कि वे सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री चेहरा हैं।
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