महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्थानीय निकायों के चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण में 246 नगर परिषद और 42 नगर पंचायत के चुनाव हो रहे हैं। गठबंधन की राजनीति के दौर में इतनी दिलचस्प तस्वीर कहीं और देखने को नहीं मिलेगी, जैसी महाराष्ट्र के निकाय चुनाव में दिख रही है। सबको पता है कि महाराष्ट्र में दो गठबंधन हैं। भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति, जिसमें एकनाथ शिंदे की शिव सेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं। दूसरी ओर महाविकास अघाड़ी है, जिसमें कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिव सेना और शरद पवार की एनसीपी शामिल है। इनके अलावा कुछ और छोटी छोटी पार्टियां किसी न किसी गठबंधन का हिस्सा हैं। लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव में महायुति और महाविकास अघाड़ी नाम का कोई गठबंधन नहीं है। एक गठबंधन का घटक दल दूसरे गठबंधन के घटक दल से तालमेल करके चुनाव लड़ रहा है। गठबंधन की पार्टियां आपस में ही एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। आपस में आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।
वहां कौन किस गठबंधन में है और किसके खिलाफ लड़ रहा है, यह समझने के लिए बहुत दिमाग लगाना होता है। जैसे भाजपा के नेता नारायण राणे के बेटे नीलेश राणे शिव सेना में है और वे शिव सेना की ओर से भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। असल में शोलापुर जिले में भाजपा की सहयोगी शिव सेना ने कांग्रेस की सहयोगी एनसीपी से तालमेल कर लिया है। इससे परेशान भाजपा परेशान है। इसी चक्कर में नीलेश राणे का झगड़ा भाजपा कार्यकर्ताओं से हो गया है। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है। सबको पता है कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा झगड़ा जिन दो दलों में है वह शिव सेना के दोनों धड़े हैं। उद्धव ठाकरे को सबसे बड़ा झटका एकनाथ शिंदे ने दिया है। लेकिन पुणे में शिंदे और उद्धव दोनों की शिव सेना एक होकर लड़ रहे हैं। शिंदे सेना की ओर से मनीषा सुरेश गोरे ने मेयर पद के लिए नामांकन किया तो शिंदे सेना के विधायक शरद सोनवाने के साथ साथ उद्धव की पार्टी के विधायक बाबाजी काले भी नामांकन कराने गए। इसी तरह सिंधूदुर्ग जिले में दोनों शिव सेना साथ मिल कर लड़ रहे हैं।
इसी तरह धारशिव जिले में एकनाथ शिंदे की शिव सेना का तालमेल कांग्रेस के साथ हो गया है। वहां दोनों मिल कर भाजपा को हराने में लगे हैं। शिंदे सेना के उम्मीदवार के प्रचार में जो पोस्टर लगे हैं उनमें सोनिया और राहुल गांधी की तस्वीर भी लगी है। उधर नासिक जिले में शरद पवार की एनसीपी ने कांग्रेस और उद्धव का साथ छोड़ कर एकनाथ शिंदे की पार्टी के साथ तालमेल कर लिया है। वहां इनका गठबंधन भाजपा और एनसीपी को हराने में लगा है। पालघऱ जिले में और दिलचस्प मुकाबला है। वहां शरद पवार और अजित पवार दोनों की एनसीपी का एकनाथ शिंदे के साथ तालमेल है और तीनों मिल कर भाजपा को हराने के लिए लड़ रहे हैं। कोल्हापुर जिले में चाचा और भतीजे यानी शरद पवार और अजित पवार की पार्टियां साथ मिल कर लड़ रही हैं। एक सीट पर तो वह हुआ है, जिसकी कल्पना भी भारत की राजनीति में नहीं की जाती है। एक सीट पर भाजपा और कांग्रेस साथ मिल गए हैं और एकनाथ शिंदे की शिव सेना को हराने के लिए लड़ रहे हैं।


