पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले वामपंथी पार्टियों की संसद और विधानसभा में मौजूदगी का पूरी तरह से पटाक्षेप होने वाला है। देश की सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी सीपीएम के इकलौते राज्यसभा सांसद बिकास रंजन भट्टाचार्य का कार्यकाल पूरा हो रहा है और उनकी जगह लेफ्ट का कोई नहीं चुना जाएगा। सोचें, एक समय सीपीएम के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे ने लगातार तीन दशक से ज्यादा समय तक बंगाल पर शासन किया था। लेकिन जब पतन शुरू हुआ तो वह अंतिम मुकाम पर पहुंच गया है। बिकास रंजन भट्टाचार्य तीन अप्रैल 2020 को राज्यसभा के लिए चुने गए थे और दो अप्रैल को वे रिटायर हो जाएंगे।
ध्यान रहे लोकसभा में पश्चिम बंगाल से कम्युनिस्ट पार्टियां कोई सांसद नहीं है और राज्यसभा में भी कोई सांसद नहीं बचेगा। पश्चिम बंगाल की विधानसभा में भी कम्युनिस्ट पार्टियों का कोई विधायक नहीं है। सीपीएम, सीपीआई, आरसीपी, फॉरवर्ड ब्लॉक किसी को पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी। कांग्रेस को भी विधानसभा में कोई सीट नहीं मिली थी। कांग्रेस और लेफ्ट के गठबंधन में सिर्फ इंडियन सेकुलर फ्रंट को एक विधानसभा सीट मिल पाई थी। इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक सीट जीतने में कामयाब रही थी।


