पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां कुछ न कुछ ऐसा कर रही हैं, जिससे मीडिया का फोकस उनकी तरफ हो। सब अपना अपना एजेंडा स्थापित करना चाहते हैं। इसी बीच राजभवन ने भी एक फैसला किया है। अब कोलकाता में राजभवन को लोकभवन कहा जाएगा। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने इसकी घोषणा की है। ध्यान रहे पिछले कई सालों से पश्चिम बंगाल में राज्यपालों द्वारा राजभवन को एक सामानांतर शक्ति केंद्र बनाने का प्रयास हो रहा है। मुख्यमंत्री सचिवालय नबन्ना के बरक्स राजभवन को एक केंद्र बनाया जा रहा है। ऐसा संदेश दिया जा रहा है कि बंगाल के लोग अपनी शिकायत राज्यपाल को भी कर सकते हैं।
ऐसा लग रहा है कि इसी प्रयास के तहत राजभवन का नाम लोकभवन किया गया है। हालांकि कई जानकार यह भी बता रहे हैं कि जैसे दिल्ली में राजपथ को कर्तव्य पथ किया गया या रेसकोर्स रोड को लोक कल्याण मार्ग किया गया उसी तर्ज पर राजभवन को लोकभवन किया गया है। लेकिन यह मामला इतना सीधा नहीं है। असल में पश्चिम बंगाल के लोगों को, जिसमें ‘भद्रलोक’ और ‘छोटोलोक’ दोनों शामिल हैं, उनको यह मैसेज दिया गया है कि जनता के लिए एक उम्मीद का केंद्र राजभवन भी है। ध्यान रहे राज्य के अलग अलग हिस्सों में होने वाली छोटी बड़ी घटनाओं में राज्यपाल जितने सक्रिय तरीके से शामिल होते हैं और सरकार से सवाल पूछते हैं उस प्रवृत्ति का विस्तार इस नए बदलाव में दिख रहा है। देखना है कि चुनाव में बंगाल के लोग इससे प्रभावित होते हैं या नहीं।


