क्या महाराष्ट्र के सबसे बड़े नेता, तीन बार मुख्यमंत्री रहे एनसीपी के संस्थापक शरद पवार की संसदीय पारी समाप्त होने वाली है? उन्होंने कुछ दिन पहले राजनीति से संन्यास की बात कही थी। लेकिन नेताओं की ऐसी बातों का कोई मतलब नहीं होता है। उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ना बंद किया तो अपनी बेटी सुप्रिया सुले को बारामती सीट सौंप दी। वे लगातार चार बार से उस सीट से जीत रही हैं। उसके बाद से शरद पवार राज्यसभा में हैं। लेकिन इस बार उनकी पार्टी सिर्फ 10 विधानसभा सीट जीत पाई है। तभी सवाल है कि वे कैसे राज्यसभा जाएंगे? महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी को कुल 51 सीटें मिली हैं। इनमें उद्धव ठाकरे की शिव सेना के 20, कांग्रेस के 16 और शरद पवार की पार्टी के 10 विधायक हैं। इनकी मदद से राज्यसभा की एक सीट जीती जा सकती है। राज्य में खाली हो रही सात सीटों में से पवार की दो और उद्धव व कांग्रेस की एक एक सीट है। अगर तीनों पार्टियां चाहें तो शरद पवार को फिर से राज्यसभा भेज सकती हैं।
इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की लंबी पारी के भी खत्म होने का समय आ गया है। देवगौड़ा की उम्र 90 साल से ज्यादा है और वे लगातार किसी न किसी सदन के सदस्य रहे हैं। उन्होंने अपनी लोकसभा सीट अपने पोते को सौंप दी। अब उनका राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और सिर्फ 19 सीटें जीती उनकी पार्टी अपने दम पर राज्यसभा की सीट नहीं जीत सकती है। राज्य में अगले साल चार सीटें खाली हो रही हैं। इनमें से एक सीट भाजपा को मिल सकती है। अगर भाजपा अपने कोटे की सीट जेडीएस को देती है तभी देवगौड़ा राज्यसभा जा सकते हैं। हालांकि राज्य में भाजपा के दो सांसद रिटायर हो रहे हैं और उसे सिर्फ एक सीट मिलने वाली है तो वह ये सीट जेडीएस को देगी इसमें संदेह है। ऊपर से देवगौड़ा की उम्र को देखते हुए भी हो सकता है कि उनको आराम दे दिया जाए। वैसे उनकी पार्टी सीट के लिए दबाव बनाएगी।


