भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI ) ने एक चौंकाने वाला और सख्त कदम उठाते हुए भारतीय क्रिकेट टीम के कोचिंग स्टाफ में बड़ा बदलाव किया है। (border–gavaskar trophy)
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में खेले गए बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (border–gavaskar trophy) 2024-25 में भारत की शर्मनाक और निराशाजनक हार के बाद बीसीसीआई ने फील्डिंग कोच टी. दिलीप, असिस्टेंट कोच अभिषेक नायर, स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच सोहम देसाई और एक मसाज स्टाफ को उनके पदों से हटा दिया है।
यह फैसला न केवल हार की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारतीय टीम के प्रदर्शन में गिरावट को अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जाएगा।
बीसीसीआई के इस फैसले ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह निर्णय टीम के अंदरूनी माहौल, फिटनेस स्तर और मैदान पर खिलाड़ियों की ऊर्जा में आई कमी के बाद लिया गया।
यह माना जा रहा है कि बोर्ड अब टेस्ट क्रिकेट में भारत के दबदबे को फिर से स्थापित करने के लिए सख्त कदम उठाने को तैयार है।
8 महीने पहले सहायक कोच बने थे अभिषेक नायर
अभिषेक नायर, जिन्हें आठ महीने पहले ही सहायक कोच के रूप में नियुक्त किया गया था, गौतम गंभीर के मुख्य कोच बनने के तुरंत बाद टीम में शामिल हुए थे।
उनकी कोचिंग क्षमता और युवा खिलाड़ियों के साथ उनका अनुभव भारतीय टीम के लिए एक नई ऊर्जा लेकर आया था। लेकिन हालिया प्रदर्शन ने बीसीसीआई को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि टीम के पुनर्निर्माण के लिए कोचिंग स्टाफ में बदलाव जरूरी है।
फील्डिंग कोच टी. दिलीप, जो कई वर्षों से टीम इंडिया के साथ जुड़े हुए थे, उनके अनुभव और समर्पण के बावजूद बोर्ड ने उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
इसके अलावा, फिटनेस और रिकवरी के क्षेत्र में काम कर रहे स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच सोहम देसाई की भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए, जिससे उनके हटाए जाने का निर्णय लिया गया।
यह फैसला बताता है कि BCCI अब भारतीय क्रिकेट को नए नजरिए और नई रणनीति के साथ आगे ले जाना चाहता है। बोर्ड का मानना है कि सिर्फ खिलाड़ियों को बदलना काफी नहीं है, जब तक कि कोचिंग और सपोर्ट स्टाफ भी उसी स्तर पर प्रदर्शन न करें।
अब देखना यह होगा कि इन बर्खास्तियों के बाद टीम में क्या बदलाव देखने को मिलते हैं और कौन नए चेहरों के रूप में कोचिंग स्टाफ का हिस्सा बनते हैं।
भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह एक भावनात्मक पल है, लेकिन शायद यही वह समय है जब बदलाव की सख्त जरूरत थी। BCCI का यह कदम आने वाले समय में टीम की मानसिकता, अनुशासन और प्रदर्शन को एक नई दिशा देने का प्रयास साबित हो सकता है।
गंभीर का युग और सहयोगियों की टीम में एंट्री
टी20 विश्व कप 2024 के बाद भारतीय क्रिकेट टीम में बड़ा बदलाव देखने को मिला। राहुल द्रविड़ का कार्यकाल समाप्त होने के बाद BCCI ने भारत के पूर्व ओपनर और आक्रामक सोच वाले क्रिकेटर गौतम गंभीर को टीम इंडिया का मुख्य कोच नियुक्त किया।
गंभीर के कोच बनने के बाद उन्होंने अपने साथ काम कर चुके विश्वसनीय और अनुभवी साथियों को भारतीय टीम के सपोर्ट स्टाफ में शामिल किया।
गंभीर इससे पहले कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के मेंटर रह चुके थे, और उसी कार्यकाल में उन्होंने अभिषेक नायर, रेयान टेन डेशकाटे और अन्य स्टाफ के साथ घनिष्ठ रूप से कार्य किया था। इन सबकी साझेदारी से केकेआर ने शानदार प्रदर्शन किया था।
मोर्ने मोर्कल, जो गंभीर के साथ लखनऊ सुपर जाएंट्स (LSG) में भी कार्य कर चुके हैं, उन्हें भी सपोर्ट स्टाफ में अहम भूमिका दी गई। (BCCI ) यह साफ था कि गंभीर अपने भरोसेमंद और अनुभवी साथियों के साथ टीम इंडिया में एक नई ऊर्जा और रणनीति लेकर आना चाहते थे।
टीम में आए बदलाव और विवाद
हालांकि, भारतीय टीम के लिए सब कुछ योजना के अनुसार नहीं चला। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुई टेस्ट सीरीज में भारत को करारी हार का सामना करना पड़ा।
इस हार के बाद खासकर बल्लेबाजी में गिरावट के लिए अभिषेक नायर की भूमिका पर सवाल खड़े हुए। मीडिया और क्रिकेट विशेषज्ञों के बीच चर्चा तेज हो गई कि क्या अभिषेक को राष्ट्रीय टीम के लिए उपयुक्त माना जा सकता है।
BCCI ने स्थिति को संभालने के लिए त्वरित निर्णय लिया और एनसीए व भारत ए टीम के अनुभवी कोच सितांशु कोटक को सीमित ओवरों की टीम का नया बल्लेबाजी कोच बनाया गया। सितांशु की कोचिंग में भारत ने जल्द ही शानदार वापसी की और चैंपियंस ट्रॉफी 2025 अपने नाम की।
हालांकि यह जीत अभिषेक, टेन डेशकाटे, मोर्कल और दिलीप की मौजूदगी में ही मिली थी, लेकिन टेस्ट सीरीज की विफलता की जिम्मेदारी कुछ चुनिंदा लोगों पर डाली गई। इसी कड़ी में फील्डिंग कोच टी. दिलीप, ट्रेनर सोहम देसाई और बल्लेबाजी कोच अभिषेक नायर को उनके पद से हटा दिया गया।
वर्तमान स्थिति और आगे की राह
अब जबकि इन तीनों को बर्खास्त कर दिया गया है, बाकी स्टाफ – जैसे रेयान टेन डेशकाटे और मोर्ने मोर्कल – फिलहाल अपने पद पर बने हुए हैं।
इससे साफ है कि बीसीसीआई ने प्रदर्शन आधारित निर्णय लेने की नीति अपनाई है, और भविष्य में भी अगर परिणाम अपेक्षा अनुसार नहीं आते हैं, तो और भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
गंभीर के नेतृत्व में यह स्पष्ट हो चुका है कि अब भारतीय टीम में पारदर्शिता, अनुशासन और परिणामों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि नए कोचिंग स्टाफ और रणनीतियों के साथ भारतीय टीम आगामी सीरीज और टूर्नामेंट्स में कैसे प्रदर्शन करती है।
डेशकाटे पर फील्डिंग कोच की जिम्मेदारी
BCCI ने भारतीय क्रिकेट टीम में कोचिंग स्टाफ को लेकर हाल ही में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। फिलहाल टीम के सहायक कोच रेयान टेन डेशकाटे को टी दिलीप की अनुपस्थिति में अस्थाई रूप से फील्डिंग कोच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
डेशकाटे इससे पहले भी विभिन्न टीमों के साथ तकनीकी और सहायक भूमिकाओं में सक्रिय रहे हैं और उनकी विशेषज्ञता को देखते हुए बीसीसीआई ने उन्हें यह अतिरिक्त जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि BCCI ने टी दिलीप और नायर की जगह अब तक किसी स्थायी रिप्लेसमेंट की घोषणा नहीं की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि BCCI अभी इस दिशा में सावधानीपूर्वक कदम उठा रही है।
वहीं, स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग विभाग में भी बदलाव किए गए हैं। सोहम देसाई की जगह अब दक्षिण अफ्रीका के अनुभवी ट्रेनर एड्रियन ले रॉक्स यह भूमिका निभाएंगे।
रॉक्स वर्तमान में आईपीएल टीम पंजाब किंग्स के साथ जुड़े हुए हैं और उन्हें आधुनिक फिटनेस तकनीकों और व्यक्तिगत खिलाड़ी विकास की गहरी समझ है, जो भारतीय टीम को दीर्घकालिक रूप से लाभ पहुंचा सकती है।
BCCI पर टेस्ट प्रदर्शन सुधारने का दबाव
इन सभी बदलावों की पृष्ठभूमि में भारत का हालिया टेस्ट प्रदर्शन रहा है, जिसने BCCI को बड़े स्तर पर आत्ममंथन करने के लिए मजबूर कर दिया है।
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) में भारत को 3-1 की हार का सामना करना पड़ा था, जिससे आलोचकों और प्रशंसकों दोनों ने टीम के प्रदर्शन पर सवाल उठाए थे। केवल ऑस्ट्रेलिया ही नहीं, भारत को अपने घरेलू मैदान पर न्यूज़ीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप झेलनी पड़ी थी।
इन दोनों ही श्रृंखलाओं में रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों के प्रदर्शन की भी तीखी आलोचना हुई। इन खिलाड़ियों से अपेक्षा की जाती है कि वे कठिन समय में टीम को संबल दें, लेकिन हाल के मुकाबलों में उनकी बल्लेबाजी लय में कमी साफ़ देखी गई।
इन सब बातों ने मिलकर BCCI पर टेस्ट क्रिकेट में सुधार लाने का जबरदस्त दबाव बना दिया है। कोचिंग स्टाफ में बदलाव इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इन (BCCI ) नए प्रयोगों और जिम्मेदारियों के पुनः विभाजन से भारतीय टीम आने वाले समय में अपने टेस्ट प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार करेगी।
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