पीयूष गोयल अमेरिका पहुंच रहे हैं। वहां 17 से 20 मई तक व्यापार वार्ता का अगला दौर होगा। लेकिन पिछले दौर की तुलना में इस बार माहौल बदला हुआ होगा। ब्रिटेन और चीन से हुए समझौतों के बाद अमेरिका अब अधिक आश्वस्त है।
अमेरिका से द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत आगे बढ़ाने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल अमेरिका पहुंच रहे हैं। वहां 17 से 20 मई तक व्यापार वार्ता का अगला दौर होगा। लेकिन पिछले दौर की तुलना में इस बार माहौल बदला हुआ होगा। अप्रैल में जब पिछली वार्ता हुई, उस समय टैरिफ वॉर छेड़ने के बाद अमेरिका नए व्यापार समझौतों की तलाश में था। तब अमेरिका अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा था कि ऐसा पहला समझौता भारत के साथ हो सकता है। ये बयान भारत में बड़ी हेडलाइन बना।
लेकिन नए दौर की वार्ता के लिए गोयल के वॉशिंगटन पहुंचने के पहले अमेरिका ब्रिटेन और चीन के साथ ऐसे समझौते कर चुका है। इनमें खासकर चीन के साथ उसका पहले चरण का समझौता महत्त्वपूर्ण है। इसके साथ अमेरिका में जरूरी चीजों की किल्लत की आशंका फिलहाल टल गई है।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में बदलाव
चूंकि चीन पर लगे टैरिफ में काफी कटौती कर दी गई है, इसलिए अमेरिकी कंपनियों के लिए वहां से तुरंत कारोबार समेट कर किसी वैकल्पिक देश की तलाश की मजबूरी नहीं रह गई है। चीन से अभी आगे भी व्यापार वार्ताएं होंगी, जिनसे दोनों देशों के तनाव में और कमी आ सकती है। उधर ब्रिटेन से हुए करार को भी काफी हद तक अमेरिका के हित में झुका बताया गया है।
संभवतः इसी बदले माहौल का संकेत है कि वार्ता के ताजा दौर से पहले भारत ने स्टील और अल्यूमिनियम पर अमेरिका के बराबर टैरिफ लगाने की सूचना विश्व व्यापार संगठन को दी। अमेरिका ने इन दोनों वस्तुओं पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाया है। स्वाभाविक है कि भारत के इस जवाबी कदम का असर भी अमेरिका से व्यापार वार्ता पर पड़ेगा।
अमेरिका इस वार्ता में गैर टैरिफ मसलों को पहले ही शामिल कर चुका है। उससे खासकर भारत के कृषि, औषधि उद्योग और ई-कॉमर्स क्षेत्र में गंभीर चिंताएं पैदा हुई हैँ। भारत सरकार से अपेक्षा है कि वह अर्थव्यवस्था के इन क्षेत्रों के हितों की रक्षा करेगी। लेकिन उस पर अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया होगी और क्या तब भी सहजता से व्यापार समझौता हो पाएगा, यह महत्त्वपूर्ण प्रश्न है।
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