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ट्रंप की डींगें और 420 साल की सजा वाले आरोप!

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डोनाल्ड ट्रंप अब अमेरिका के सभी पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों में सबसे अलग बन गए हैं। वे पहले ऐसे पूर्व राष्ट्रपति हो गए है जिन पर फ़ेडरल कानूनों को तोड़ने के आरोप लगे हैं। संघीय सरकार के वे कानून हैं जिनकी रक्षा करने की शपथ उन्होंने करीब छह साल पहले ली थी। अब वे खुद राष्ट्रीय सुरक्षा, गोपनीयता, जासूसी संबंधी कानूनों के उल्लंघनकर्ता के आरोपी बने है।

डोनाल्ड ट्रंप पर जो आरोप लगाए गए हैं वे काफी गंभीर हैं। शुक्रवार को सार्वजनिक हुए ये आरोप अजीबोगरीब और शर्मनाक हैं। उनके अनुसार गोपनीय सरकारी दस्तावेज ट्रंप के मकान के बाथरूम में पाए गए; एफबीआई की छापेमारी के वक्त उसे दस्तावेज हाथ नहीं लगने देने के लिए बक्सों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की फूहड़ कोशिश हुई; एक टेप भी है जिसमें ट्रंप स्वयं अपने अपराधी होने की पुष्टि कर रहे हैं और उनके स्वयं के सार्वजनिक बयान हैं जिनका उपयोग उनके खिलाफ बने आरोप पत्र में है।

ये आरोप उन कुल 37 अपराधों के ब्यौरे का भाग है जिनके लिए ट्रंप को कटघरे में ख़डा किया जा रहा है। वे मंगलवार को कोर्ट के सामने पेश होंगे और फिर शुरू मुकद्मा। अधिकांश आरोप (31) का संबंध जानते-समझते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी जानकारियां अपने पास रखने से है। इनमें से प्रत्येक आरोप जासूसी संबंधी कानूनों का उल्लंघन है। एक आरोप न्यायिक प्रक्रिया में रोड़े अटकाने का भी है, जिसमें ट्रंप पर गोपनीय दस्तावेजों को एफबीआई और मामले की जांच कर रही जूरी की पहुंच से दूर रखने के लिए अपने व्यक्तिगत सहायक वॉल्ट नाउटा के साथ मिलकर साजिश रचने का दोषी बताया गया है।ट्रंप के वकीलों का कहना है कि गोपनीय दस्तावेज एक सुरक्षित स्टोरेज रूम में रखे गए थे। परन्तु सच यह कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गुप्त दस्तावेज ट्रंप के शानदार घर ‘मारा लागो’ में जगह-जगह बिखरे पड़े थे – कुछ शावर में, कुछ बाथरूम में, कुछ ऑफिस में, कुछ बेडरूम में और कुछ – मानों दुनिया को अपना रुतबा दिखाने के लिए – बॉलरूम की स्टेज पर! इसी बालरूम में कार्यक्रम हुआ करते थे जिनमें लोग इकठ्ठा होते थे। मतलब अमेरिका की सैनिक ताकत, एटमी हथियारों की

जानकारी, लड़ाई की सूरत में अमेरिका की जवाबी रणनीति जैसे तमाम गंभीर-गोपनीय दस्तावेजों को एफबीआई ने पिछले अगस्त में ज़ब्त किया था। एफबीआई ने ट्रंप के फ्लोरिड़ा घर ‘मारा लागो’ की तलाशी लेने के लिए वारंट हासिल किया था क्योंकि कई बार अनुरोध करने के बाद भी ट्रंप अत्यंत गुप्त दस्तावेज लौटा नहीं रहे थे।

ऐसा लगता है कि डींगें हांकने की ट्रंप की आदत उनके इस नए सिरदर्द के लिए ज़िम्मेदार है। ज़ब्ती के समय ट्रंप ने शेखी बघारी थी कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है क्योंकि बतौर राष्ट्रपति उन्हें किसी भी दस्तावेज पर लगा ‘गोपनीय’ का ठप्पा हटाने का आदेश जारी करने का अधिकार था। परन्तु उनका यह बयान, सन 2021 की उन्हीं की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग से मेल नहीं खाता। प्रॉसिक्यूशन के पास वह टेप है जिसमें वे यह मंज़ूर कर रहे हैं कि उनके पास जो फाइलें हैं उनमें से कुछ अत्यंत गुप्त हैं। उन्होंने दो लेखकों, जो उनके एक सहायक पर किताब लिख रहे थे, से कहा था, “इससे मेरी बात पूरी तरह साबित हो जाती है…बस सवाल यह है कि वह अत्यंत गोपनीय है…गुप्त है। यह गुप्त जानकारी है।”

इन आरोपों पर ट्रंप को 420 साल के कारावास की सज़ा ही सकती है। हाँ, उनके अपराध इतने गंभीर हैं। परन्तु यह भी कहा जा रहा है कि इतनी लम्बी सजा शायद ही कभी सुनाई जाती है। दिलचस्प बात है कि शायद ट्रंप पहले ऐसे पूर्व राष्ट्रपति होंगे जो फिर एक बार चुने जाने के लिए जेल से चुनाव लड़ेंगे। उन पर आरोप लगाये जाने पर भी राजनीति हो रही है। डोनाल्ड ट्रंप भी इसे मुद्दा बना रहे हैं। फ़ेडरल कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगने के बाद अपने पहले सार्वजनिक भाषण में जॉर्जिया में रिपब्लिकन पार्टी के एक सम्मलेन में अपनी जानी-पहचानी स्टाइल में वे जस्टिस डिपार्टमेंट, एफबीआई और बाइडन प्रशासन पर जम कर बरसे। उन्होंने स्वयं पर आरोप लगाये जाने को न्याय का मखौल बताया। कहा कि एक षड़यंत्र के तहत बाइडन ने गुप्त दस्तावेज वाशिंगटन डीसी के चाइनाटाउन में छुपा रखे हैं। इन आरोपों की अब तक पुष्टि नहीं हुई है। भाषण के बाद लौटते हुए उन्होंने ‘पोलिटिको’ से कहा कि अगर उन पर लगाये गए ताज़ा आरोप सिद्ध भी हो जाते हैं तब भी वे राष्ट्रपति बनने की दौड़ में शामिल रहेंगे। उन्होंने कहा “मैं भागूंगा नहीं।”

जहाँ तक रिपब्लिकनों का सवाल है, उन्हें इस सबसे कोई समस्या नहीं है। एरीज़ोना से हाउस ऑफ़ रिप्रेजेन्टेटिव्स के सदस्य एंडी बिग्स ने ट्वीट किया, “अब हम युद्ध की स्टेज पर आ गए हैं। अब जान के बदले जान लेने का समय आ गया है।”

संदेह नहीं है कि रिपब्लिकन पार्टी का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने की सबसे अधिक सम्भावना यदि किसी की है तो वे ट्रंप हैं। उन्हें अपनी पार्टी में समर्थन हासिल है। जाहिर है कि अगले 18 महीनों में ट्रंप अनेक रैलियों को संबोधित करेंगे और अपने भाषणों में वे उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे और उनकी सुनवाईयों की बात ज़रूर करेंगे। क्या इन मुकदमों से व्हाइट हाउस का किरायेदार एक बार फिर बनने के ट्रंप के सपने को ग्रहण लग सकता है? ऐसा शायद ही हो। अमेरिका में भी अदालती कार्यवाहियां कछुआ चाल से चलतीं हैं और इसलिए इस बात की बहुत कम सम्भावना है कि नवम्बर 2024 के पहले वे जेल पहुँच जाएँ। परन्तु एक बात तो है। उन पर आपराधिक आरोप लगाए जाने से भले की प्राइमरीज में उन्हें फायदा मिले परन्तु राष्ट्रीय चुनाव में जब वे बाइडन के सामने होंगे, तब यह उनके लिए समस्या बन सकती है। जो वोटर अतिवादी नहीं हैं वे बतौर राष्ट्रपति ट्रंप के व्यवहार से पहले ही नाराज़ हैं और जब ट्रंप अपने को षड़यंत्रपूर्वक प्रताड़ित करने वालों को नेस्तनाबूत करने की बातें करेंगे तब वे उन्हें सर्वोच्च पद के लायक मानेंगे इसकी सम्भावना कम ही है। हाँ अपने ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ मतदाताओं के बीच वे खासे लोकप्रिय हैं। कुछ लोगों को यह आशंका भी है यह नारा एक नए विद्रोह का सबब बन सकता है। अमरीका की राजनैतिक और कानूनी संस्थाओं और उसके प्रजातंत्र को अगले कुछ महीनों में ‘स्ट्रेस टेस्ट’ का सामना करना पड़ेगा।  (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

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By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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