बेंगलुरू। कर्नाटक के बेंगलुरू में चल रही राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर विचार किया गया। शनिवार को बैठक के दूसरे दिन बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कट्टरपंथी इस्लामवादी तत्वों के हाथों हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हिंसा, अन्याय और उत्पीड़न के मामले पर गंभीर चिंता जताई गई। शनिवार को आरएसएस ने इस मसले पर एक प्रस्ताव पारित किया।
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंदुओं का उत्पीड़न मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक गंभीर मामला है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने कहा कि पिछले साल हुई हिंसा के सरकार का समर्थन गंभीर चिंता का विषय है। लगातार भारत विरोधी बयानबाजी दोनों देशों के बीच संबंधों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। बेंगलुरु में चल रही संघ की प्रतिनिधि सभा में इस बार कुल 1,482 स्वयंसेवक और पदाधिकारी शामिल हो रहे हैं। गौरतलब है कि इस साल आरएसएस की स्थापना के एक सौ साल पूरे होने जा रहे हैं, प्रतिनिधि सभा इस पर भी प्रस्ताव लाएगी।
बहरहाल, प्रतिनिधि सभा के सदस्यों ने बांग्लादेश पर प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि भारत सरकार ने बांग्लादेश के हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के साथ खड़े रहने और उनकी सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्धता जताई है। सरकार ने यह मुद्दा बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ साथ कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाया है। प्रतिनिधि सभा ने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि वह बांग्लादेश के हिंदू समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वहां की सरकार से निरतंर संवाद बनाए रखने के साथ साथ हर संभव प्रयास जारी रखे।
बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को लेकर पास किए गए प्रस्ताव में प्रतिनिधि सभा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों और वैश्विक समुदाय को बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचारों पर कार्रवाई करनी चाहिए। उसे बांग्लादेश सरकार पर इन हिंसक गतिविधियों को रोकने का दबाव बनाना चाहिए। प्रतिनिधि सभा ने हिंदू समुदाय और दुनिया के बाकी देशों के नेताओं, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से अपील करते हुए कहा कि वे बांग्लादेशी हिंदू और अल्पसंख्यक समाज के समर्थन में एकजुट होकर अपनी आवाज उठाएं।