madhya pradesh budget : हमारे मालवा में बहुत पुराने जमाने से एक कहावत प्रचलित है- ‘‘घर भाड़े…. दूकान भाड़े…. छोरा-छोरी जलेबी झाड़े’’ आज यह कहावत आर्थिक संकट के दौर में हम पर याने हमारे प्रदेश पर लागू हो रही है।
मध्यप्रदेश पर मौजूदा हालात में पहली बार चार लाख करोड़ से अधिक का कर्ज है और संयोग यह भी कि इतना ही हमारे राज्य का वार्षिक बजट है।(madhya pradesh budget)
राज्य सरकार ने पिछले साल 3.65 लाख करोड़ का बजट पेश किया था और वर्तमान में प्रदेश सरकार पर 4.10 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज है, किंतु प्रदेश की इस आर्थिक दयनीयता की चिंता किसी को भी नही है, इस आर्थिक तंगी में भी सरकार पर विराजित नेता और अधिकारी उसी अपनी प्रचलित मस्ती में जीवन बसर कर रहे है, उनके विलासिता पूर्ण जीवन में कोई परिवर्तन नही आया है।
चालू वित्त वर्ष में सरकार अब तक चार बार कर्ज ले चुकी है, अब फिर पांच हजार करोड़ की राशि कर्ज के रूप में ली गई है, अब यह कर्ज ग्यारह से उन्नीस साल की अवधि में ढ़ाई-ढ़ाई हजार करोड़ की कर्ज राशि चुकानी होगी, साथ ही इस कर्ज राशि के साथ राज्य का सरकार का सामान्य खर्च तो है ही, अब सरकार कर्ज चुकाएगी या प्रदेश चलाएगी। आज का यही ज्वलंत सवाल है?
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रिजर्व बैंक का दरवाजा खटखटाया (madhya pradesh budget)
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि प्रदेश में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले राज्य सरकार पहली बार भारी भरकम कर्ज लेने जा रही है, एक बार में ही तीन अलग-अलग कर्ज के लिए प्रदेश सरकार ने रिजर्व बैंक का दरवाजा खटखटाया है, नए कर्ज के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
वित्त विभाग ने इस सम्बंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है, अधिसूचना के अनुसार पहला कर्ज दो हजार करोड़ बारह वर्ष की अवधि के लिए होगा (madhya pradesh budget)
कर्ज की दूसरी किश्त भी दो हजार करोड़ की होगी लेकिन उसके भुगतान की अवधि पन्द्रह वर्ष होगी, तीसरा कर्ज भी दो हजार करोड़ का होगा, लेकिन उसकी भुगतान अवधि 23 वर्ष होगी, या कि इस कर्ज के दो दशक बाद तक चुकाया जाता रहेगा।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार अब तक सात बार में कुल 35 हजार करोड़ रूपए का कर्ज ले चुकी है, पिछला कर्ज जनवरी में लिया था जो पांच हजार करोड़ का था। अब लगभग डेढ़ माह बाद ही फिर सरकार बाजार से छः हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है।
इस कर्ज की चिंता किसे
इस प्रकार अब राज्य सरकार पर कुल मिलाकर 41 हजार करोड़ रूपए का कर्ज हो जाएगा, वैसे भी राज्य सरकार पर 31 मार्च 2024 की स्थिति में तीन लाख पचहत्तर हजार पांच सौ अठारह करोड़ बावन लाख रूपए से अधिक की कर्ज राशि हो जाएगी।
….वैसे राज्य के बजट को घाटे में प्रस्तुत करने की तो बहुत पुरानी परम्परा चली आ रही है, किंतु यहां मुख्य सवाल यह है कि इस कर्ज की चिंता किसे है? (madhya pradesh budget)
राजनेताओं-अधिकारियों की मौज-मस्ती में कर्ज की कोई चिंता नही देखी जा रही है, बैचारी जनता ही है, जो पहले से महंगाई के दौर से गुजर रही है और राज्य के इस कर्ज का बोझ भी आगे-पीछे उसी पर पड़ने वाला है, कर के रूप में?
अब ऐसी विषम स्थिति से यदि कोई चिंतित है तो वह अकेला प्रदेश का आम आदमी, जिसके सामने अपने परिवार के भरण-पोषण के साथ टेक्स जमा करने की भी अहम् जिम्मेदारी है।
इस प्रकार कुल मिलाकर आज पूरा देश ही आर्थिक विसंगति से जूझ रहा है, लेकिन इसकी चिंता किसी भी ‘‘कथित राष्ट्रप्रेमी’’ को नही है। (madhya pradesh budget)