Wednesday

30-04-2025 Vol 19

इसलिए प्रधान न्यायधीश चयन समिति में बैठते हैं..!

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vice president dhankhar : उप राष्ट्रपति धनखड़ जी ने भोपाल में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में सम्बोधन करते हुए आश्चर्य व्यक्त किया कि कार्यपालिका की नियुक्ति के संबंध में न्यायपालिका को कैसे हम शामिल कर सकते हैं।

उनके तर्क के अनुसार लोकतंत्र में राष्ट्र के तीनों निकायों में शक्ति के विभाजन के अनुसार सीबीआई के डायरेक्टर के चयन में प्रधान न्यायधीश का क्या काम। (vice president dhankhar)

उनके अनुसार कार्यपालिका (सरकार) के कार्य सम्पादन में किसी भी प्रकार का हस्तकछेप चाहे वह विधायिका से हो अथवा न्यायपालिका से हो संविधान तथा लोकतंत्र के उसूलों के विरुद्ध है। धनखड़ जी खुद अदालतों मे वकालत कर चुके हैं।

हालांकि वे सफल वकील नहीं रहे। उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन केवल संसद का अधिकार है। एक अनजाने महा न्यायवादी की किताब का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा मेरी समझ से तो संविधान के मूलभूत सिद्धांतों पर बहस की जरूरत हैं।

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उच्च सदन के सभापति भी (vice president dhankhar)

जगदीप धनखड़ जी संवैधानिक पद के नंबर दोयम पर आसीन हैं। परंतु वे उच्च सदन के सभापति भी हैं। अब वे सांविधानिक रूप से नंबर दो पर होने के बाद राष्टीय विधायिका के सभापति भी हैं।

मेरी तुच्छ बुद्धि के अनुसार यदि सांविधानिक पद पर हैं तब, उन्हें विधायिका और उससे जन्मे व्यवस्थापक से बिल्कुल समान दूरी बना कर रखनी चाहिए। (vice president dhankhar)

राज्यसभा में बैठक का संचालन करते हुए उनके व्यवहार और फैसलों को समझा जा सकता है कि वे कितने न्यायप्रिय हैं। विपक्ष के सांसदों ने अनेकानेक बार उन पर न्याय नहीं नहीं करने का आरोप लगाया हैं।

सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट से बार – बार यह सुनना पड़ा था कि वह सरकारी तोता है। जिसका इशारा था कि सीबीआई की जांच सरकार के समर्थन में ही होती हैं।

वह न्याय पूर्ण नहीं होती हैं। क्यूंकि अधिकतर सरकार अपने किसी स्वामिभक्त अफसर को इस पद पर नियुक्त करती थी। (vice president dhankhar)

सत्तारूद दल को वाशिंग मशीन की उपाधि

सुप्रीम कोर्ट की फटकार से केंद्र सरकार ने सीबीआई मुखिया की नियुक्ति में सर्वोच्च अदालत के प्रधान को भी शामिल किया। जिसका अर्थ यह था कि कम से कम अब सीबीआई को पिंजरे का तोता सुप्रीम कोर्ट नहीं कह सकेगी।

लेकिन मोदी सरकार के समय जिस प्रकार जांच एजेंसियों ने सत्ता विरोधियों को निशाना बनाने का काम किया है, उसके बाद ही सत्तारूद दल को वाशिंग मशीन की उपाधि मिल गई है। (vice president dhankhar)

अब सरकार सीबीआई से ज्यादा इ डी की जांच को प्रमुखता से अवसर दे रही हैं। मोदी सरकार के काल मे यह मुहावरा बन गया हैं की अगर आप गैर भाजपाई है तो आपको धरमराज बन के रहना होगा।

वरना आप एंडी टीवी कर प्रणव रॉय और राधिका रॉय की भांति बेगुनाह होते हुए भी सरकारी जांच एजेंसी इतना परेशान करेगी कि आपको देश छोड़ना पड़ेगा।

यह बात और है कि आठ माह बाद वही जांच एजेंसी अदालत में बयान देती है कि रॉय दंपति के विरुद्ध कोई अपराध किया जाना नहीं पाया गया। (vice president dhankhar)

कुछ ऐसा ही झूठ टूजी घोटाले के बारे में विनोद राय ने भी देश से बोल था। जिसको आरएसएस और बीजेपी ने प्रचारित करके तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार को बदनाम किया। फलस्वरूप चुनावों में काँग्रेस की पराजय हुई।

उप महामहिम जी को यह समझना होगा कि सरकार बनाने से ज्यादा महत्वपूर्ण लोकतंत्र को कायम रखना हैं और उसके लिए सत्तारूढ़ पार्टी के अनीतिक और अवैध फैसलों को रोकने टोकने वाला अफसर चाहिए।

न कि कारसेवको पर गोली चलवाने वाला मुख्य सचिव जो बाद में अयोध्या के राम मंदिर निर्माण का जिम्मा निभा रहा हैं। इन्हीं कारणों से जांच एजेंसियों के मुखिया की रीढ़ इतनी मजबूत होनी चाहिए कि वह प्रधानमंत्री को भी गलत काम के लिए न कह सके।

विजय तिवारी

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