Wednesday

30-04-2025 Vol 19

रेवड़िया: प्रजातंत्र के लिए वरदान या अभिशाप…?

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 freebies scheme :  भारतीय राजनीति में रेवड़ियों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने चिंता व्यक्त करते हुए इस प्रक्रिया को प्रजातंत्र के लिए काफी आत्मघाती कदम बताया है अब इसे प्रजातंत्र पद्धति में व्याप्त दोष कहां जाए या और कुछ?

किंतु मेरी नजर में तो देश विरोधी सिलसिला है जिसके लिए रेवड़ियां बांटने वाले कम उसे हासिल करने वाले ज्यादा दोषी है ( freebies scheme)

क्या हमारा स्तर इतना गिर चुका है कि आजादी की हीरक जयंती तक हम अज्ञानी और भिखारी बने हुए और थोड़े से लालच में अयोग्य और अवसरवादियों के हाथों में देश का भविष्य सौंप रहे है

हमारे राजनेताओं की तो यह एक सोची समझी चाल है जिसके तहत वे भारतवासियों को हमेशा लाचार और दया का पात्र बनाकर रखना चाहते हैं तथा समय आने पर उसकी मजबूरी का राजनीतिक फायदा उठाते रहते हैं वह नहीं चाहते कि देश का आम मतदाता अपनी ज़रूरतें पूरी करने में पूर्णता सक्षम हो?

अब सर्वोच्च न्यायालय की कड़ी टिप्पणी को कितने लोग समझ पा रहे हैं या जानबूझकर समझना नहीं चाहते हैं यह एक अलग बात है किंतु इस मामले में सुप्रीमकोर्ट की चिंता एकदम सही है ( freebies scheme)

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न्यायपालिका ने अपना मौन तोड़ा ( freebies scheme)

अब तो हमारे प्रजातंत्र का यह आम चलन ही हो गया है कि देश के लोगों को कभी भी आत्मनिर्भर व चिंता मुक्त मत होने दो तथा इन्हें हर तरीके से इतना परेशान करके रखो कि आम आदमी उनकी शरण में आने को मजबूर हो जाए

और वह उसकी आड़ में अपनी राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि कर ले पहले तो सिर्फ चुनाव के समय ही रेवड़ियों का पिटारा खोलने का चलन था पर अब तो यह पिटारे कभी भी खोले जाने लगे हैं और राजनीतिक स्वार्थसिद्धि चुनावों की तरह 12 मास जारी रहती है

यही नहीं इन पर अंकुश तो राजनेता अपने स्वार्थ वश लगा नहीं रहें हैं, और सरकारें भी इस दिशा में मौन दर्शक बनी हुई है अब ऐसी स्थिति मे न्यायपालिका ही है जिसने अपना मौन तोड़ा है और वह अब इस दिशा में भी सक्रिय नजर आ रही है। ( freebies scheme)

भारत में आम आदमी की स्थिति  

अब यहां अहम सवाल यह पैदा होता है की आजादी के 75 साल आम नागरिक आज याचक क्यों बना हुआ है

इतनी लंबी अवधि में वह हर दृष्टि से आत्मनिर्भर क्यों नहीं बन पाया वास्तविकता यह है कि हमारे राजनेताओं ने ही आम आदमी को आत्मनिर्भर नहीं बनने दिया हर सुविधा आम आदमी को मुफ्त में मुहैया करा कर उसे आलसी बना दिया

जीवन की हर सुविधा यदि मुफ्त में मिल जाए तो फिर भला मेहनत करना कौन पसंद करेगा यही स्थिति आज भारत में आम आदमी की है। ( freebies scheme)

और आम आदमी का हाल यह है कि आजादी के इतने लंबे अंतराल के बाद भी वह लाचार और बेबस बना हुआ है जिसका फायदा राजनीतिक दल उठा रहे है और सही तो यही है कि जब तक आम आदमी स्वयं को लेकर सक्रिय नहीं होगा

तब तक देश में यही सब चलता रहेगा फिर देश चाहे किसी भी दिशा मे क्यों न जाए और इसीलिए आज जो चिंता आम आदमी को करनी चहिए वह सर्वोच्च न्यायालय कर रहा है ( freebies scheme)

अब इस सब के बाद भी हम यदि नहीं जागे तो फिर हमारे दुर्भाग्य के लिए और कोई नहीं हम स्वयं ही दोषी होंगे और यदि यही आगे भी चलता रहा तो हम भारतवासी फिर से अपनों के ही अधीन होकर परतंत्र की जिंदगी गुजारेंगे और देश में लूटमार जारी रहेगी और इसका भविष्य अंधकार में हो जाएगा‌

ओमप्रकाश मेहता

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