मध्य प्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के दावेदार कमलनाथ को अपनी रणनीति पर चुनाव लड़ना है। चुनाव जीतने की अपनी रणनीति में वे किसी की परवाह नहीं कर रहे हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि उनके हिसाब से पार्टी आलाकमान काम करे। अगर उनकी और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति में कोई टकराव होता है तो उनकी बात अंतिम मानी जाएगी। इसे लेकर पार्टी में नीचे से ऊपर तक कई सवाल उठाए जा रहे हैं लेकिन सबको पता है कि कमलनाथ को पूरा अधिकार मिला हुआ है। इसलिए उनको जो मन में आ रहा है वह कर रहे हैं। इसके लिए कांग्रेस के साथ साथ विपक्षी गठबंधन के नेता और सोशल मीडिया में कांग्रेस के समर्थक भी सवाल उठा रहे हैं।
ताजा मामला ‘टाइम्स नाऊ’ चैनल की प्रमुख नाविका कुमार को अपने हेलीकॉप्टर में ले जाने और इंटरव्यू देने का है। ध्यान रहे नाविका कुमार उन 14 पत्रकारों में शामिल हैं, जिनका विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने बहिष्कार किया है। विपक्षी पार्टियां नाविका के शो में अपने प्रवक्ता नहीं भेजती हैं। लेकिन कमलनाथ उनको न सिर्फ इंटरव्यू दिया, बल्कि खास तवज्जो देते हुए अपने हेलीकॉप्टर में लेकर गए। नाविका ने सोशल मीडिया में कमलनाथ के साथ अपनी फोटो शेयर की, जिसे लेकर कई नेताओं ने सवाल उठाए। नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस पर सवाल उठाए।
इससे ठीक पहले कमलनाथ ने अंग्रेजी के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में राममंदिर के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने कांग्रेस को इसका श्रेय देते हुए कहा कि राजीव गांधी ने मंदिर का ताला खुलवाया था। कमलनाथ ने इसे लेकर भाजपा पर भी निशाना साधा और कहा कि मंदिर का निर्माण सरकारी पैसे से हो रहा है, कोई भाजपा के पैसे से नहीं हो रहा है। इसके बाद कमलनाथ पर कई तरफ से हमले हुए। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में अपने साथ राहुल गांधी को भी ले जाना चाहिए। ध्यान रहे हिंदुत्व की राजनीति में कमलनाथ भाजपा को टक्कर दे रहे हैं और तभी बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के कई कार्यक्रम कराए।
नरम हिंदुत्व की राजनीति की वजह से ही कमलनाथ ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की पहली प्रस्तावित रैली रद्द कराई थी। विपक्षी नेताओं ने 13 सितंबर को दिल्ली में हुई समन्वय समिति की बैठक में तय किया था कि गठबंधन की पहली बैठक भोपाल में होगी। लेकिन कमलनाथ ने एकतरफा तरीके से उसको रद्द कर दिया क्योंकि उसी समय सनातन का विवाद शुरू हुआ था और वे नहीं चाहते थे कि सनातन का विरोध करने वाले तमिलनाडु या दूसरे राज्यों के नेता भोपाल में आकर कोई विवादित बयान दें। टिकट बंटवारे में भी लगभग सभी सीटों पर कमलनाथ ने अपने हिसाब से उम्मीदवार उतारे। इसे लेकर समाजवादी पार्टी के साथ विवाद हुआ वह सबको पता है। दिग्विजय सिंह ने सपा के लिए चार सीट छोड़ने को कहा था पर कमलनाथ ने कोई सीट नहीं छोड़ी, जिससे अखिलेश नाराज हुए।