Wednesday

30-04-2025 Vol 19

समाजवादी पार्टी की तैयारियां गहरी हैं

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अगर यह सवाल पूछा जाए कि संसद के बजट सत्र के दौरान किसका एजेंडा सबसे ज्यादा चला तो उसका जवाब होगा कि समाजवादी पार्टी का। सोचें, भारतीय जनता पार्टी का मीडिया और आईटी सेल समाजवादी पार्टी के एजेंडे पर खेलता रहा और कांग्रेस लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने और गठबंधन का नेतृत्व करने के बावजूद तमाशा देखती रही। कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी को नहीं बोलने देने का मुद्दा उठाया लेकिन यह मुद्दा ज्यादा समय तक नहीं चल सका।

उसकी बजाय समाजवादी पार्टी ने अपने एजेंडे पर ज्यादा फोकस बनवा दिया। अब कांग्रेस के नेता हैरान परेशान हैं कि भाजपा से तो लड़ ही रहे हैं लेकिन सहयोगी पार्टियों के एजेंडे का कैसा जवाब दिया जाए।

समाजवादी पार्टी के दलित सांसद रामजी लाल सुमन ने संसद में राणा सांगा का विवाद शुरू किया। सुमन बहुत पुराने और मंजे हुए राजनेता हैं। वे चंद्रशेखर की सरकार में 1991 में केंद्र सरकार के मंत्री थे। 34 साल पहले केंद्र मंत्री रहा शायद ही कोई नेता अभी संसद में होगा। इसलिए यह नहीं माना जा सकता है कि 74 साल के सुमन ने अनायास राणा सांगा का विवाद छेड़ दिया। उन्होंने योजना के तहत यह विवाद शुरू किया और समाजवादी पार्टी उसको आगे बढ़ा रही है।

सुमन बनाम करणी सेना: सियासी रणनीति के नए संकेत

उनकी योजना के जाल में अपने आप करणी सेना जैसी संस्थाएं और परोक्ष रूप से भाजपा फंस गई है। आगरा में उनके घर पर कऱणी सेना के लोगों ने हमला किया। उनकी जीभ काटने पर इनाम का ऐलान किया जा रहा है। राजपूतों की जबरदस्त नाराजगी सुमन से है फिर भी सपा उनके साथ खड़ी है। उलटे अखिलेश यादव ने संसद में उनका मुद्दा उठाया और कहा कि ‘सुमन की बात’ सुनी जानी चाहिए।

सुमन ने राणा सांगा को ‘गद्दार’ बताया है। य़ह बहस औरंगजेब को दयालु और अच्छा शासक बनाने के समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र के विधायक अबू आजमी के बयान से शुरू हुई थी। अबू आजमी ने पहले औरंगजेब को अच्छा शासक बनाया और उसके बाद जब भाजपा ने उन पर हमला किया तो सुमन ने कहा कि राणा सांगा ‘गद्दार’ थे, जिन्होंने अपने भाई की लड़ाई में बाबर को भारत बुलाया।

अब उत्तर प्रदेश में दलितों और अत्यंत पिछड़ों के बीच सुमन हीरो हैं और यह धारणा बन रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थन से उनकी जाति के संगठन एक दलित नेता को निशाना बना रहे हैं। सो, एक औरंगजेब के तीर से समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम और दलित दोनों को साधा है। उसको पता है कि योगी के रहते राजपूत उत्तर प्रदेश में किसी और पार्टी को वोट नहीं देंगे। इसलिए उसका मोह छोड़ कर अखिलेश ने दूसरी राजनीति का रास्ता पकड़ा है।

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Pic Credit: ANI

NI Political Desk

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