बिहार में छह महीने में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और ‘इंडिया’ ब्लॉक की पार्टियां और नेता इसी वजह से वक्फ बिल कानून पर बहुत सक्रिय हैं। सबसे पहले कांग्रेस के किशनगंज के सांसद मोहम्मद जावेद ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उसके बाद राष्ट्रीय जनता दल ने भी सुप्रीम कोर्ट में इसका विरोध करने का फैसला किया। लेकिन दूसरी ओर एनडीए की ओर से इस पर कोई सफाई देने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू के कई मुस्लिम नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है लेकिन किसी ने उनको मनाने का प्रयास नहीं किया। इसका कारण यह है कि एनडीए किसी तरह के नुकसान की संभावना नहीं देख रहा है।
उलटे वक्फ बिल की वजह से अगर मुस्लिम वोट का ध्रुवीकरण राजद गठबंधन के साथ होता है तो एनडीए को हिंदू ध्रुवीकरण कराने में आसानी होगी। वैसे भी पिछले कई चुनावों के बाद कराए गए सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक एनडीए को पांच-सात फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोट नहीं मिलता है। वह भी एनडीए के घटक दलों जनता दल यू और लोजपा के मुस्लिम उम्मीदवारों को ही मिलता है। पिछले चुनाव में राजद और कांग्रेस के पक्ष में 70 फीसदी मुस्लिम वोट एकजुट हुआ था और 20 फीसदी से कुछ ज्यादा वोट अन्य व निर्दलीय उम्मीदवारों को गया था। इस बार भी एनडीए के नेता इसमें कोई बदलाव नहीं देख रहे हैं। तभी वे बिल के कानून बनने और ‘इंडिया’ ब्लॉक के नेताओं व पार्टियों की भागदौड़ को ज्यादा तरजीह नहीं दे रहे हैं।