Wednesday

30-04-2025 Vol 19

स्वायत्तता का मुद्दा गंभीर

तमिलनाडु सरकार ने स्वायत्तता के मुद्दे पर समिति बनाई है। यह गंभीर कदम है। मगर अपेक्षित यह है कि ऐसे मसलों को महज चुनावी मकसदों से ना उठाया जाए। दुर्भाग्यपूर्ण है कि डीएमके नेताओं के रुख से ऐसा ही होने का संकेत मिलता है।

तमिलनाडु में सत्ताधारी डीएमके ने एक और दांव चला है। उसने ‘राज्य की स्वायत्तता’ के मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय समिति गठन किया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसफ इसके प्रमुख होंगे। समिति ‘राज्य की स्वायत्तता’ और ‘राज्यों के अधिकार वापस पाने के लिए’ सुझाव देगी। उसे समवर्ती सूची में भेजे गए राज्य के विषयों को वापस लाने के उपाय सुझाने का काम भी सौंपा गया है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा है कि समिति राज्य और केंद्र के रिश्तों को मजबूत बनाने के उपायों पर विचार करेगी और अपनी सिफारिशें देगी।

स्वायत्तता पर गंभीर सवाल उठे

हालांकि समिति को 2028 तक अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है, मगर उससे जनवरी 2026 तक राज्य सरकार को अपनी अंतरिम रिपोर्ट देने को भी कहा गया है। इससे यह अनुमान लगाने का आधार बनता है कि स्टालिन राज्यों की स्वायत्तता के कथित क्षरण और दक्षिणी राज्यों के साथ ‘नाइंसाफी’ को अगले विधानसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं।

तमिलनाडु में अगले वर्ष अप्रैल में चुनाव होना है। अगर इस मकसद से ये समिति बनी है, तो इसे एक समस्याग्रस्त कदम माना जाएगा। भारत जैसी संघीय संवैधानिक व्यवस्था में राज्य एक स्वायत्त इकाई हैं। इसलिए उनकी स्वायत्तता के क्षरण की शिकायत एक गंभीर मसला है।

स्टालिन ने नई शिक्षा नीति, प्रवेश परीक्षा के सिस्टम नीट, और तीन भाषा की नीति का भी विरोध किया है। स्टालिन की मांग है कि शिक्षा को पूरी तरह से राज्य सूची का विषय होना चाहिए। लोकसभा सीटों के संभावित परिसीमन के सवाल को उन्होंने और भी बड़े स्तर पर उठाया है। यानी गठित समिति का संदर्भ बड़ा है।

मुमकिन है कि नरेंद्र मोदी सरकार के दौरान उभरी केंद्रीकरण की प्रवृत्ति के कारण इन मसलों पर पैदा हुए विरोध भाव से इसकी पृष्ठभूमि बनी हो। पिछले कुछ वर्षों में गैर-भाजपा शासित राज्यों में राज्यपालों के बर्ताव ने भी भावनात्मक प्रतिक्रिया पैदा की है। फिर भी यह जरूर अपेक्षित है कि ऐसे गंभीर मसलों को महज चुनावी मकसदों से ना उठाया जाए। दुर्भाग्यपूर्ण है कि डीएमके नेताओं के रुख से ऐसा ही होने का संकेत मिलता है।

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Pic Credit: ANI

NI Editorial

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