Delhi new cm : दिल्ली में 27 साल के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है और दिल्ली को चौथी महिला मुख्यमंत्री मिली है। इस बार के चुनाव नतीजों की कई तरह से व्याख्या हो रही है।
इसमें से एक व्याख्या यह भी है कि दिल्ली के मतदाताओं ने इस बार सिर्फ आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को हराने के लिए वोट नहीं किया, बल्कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने के लिए वोट किया।
अगर सिर्फ केजरीवाल को हराना मकसद होता तो उनसे टूटने वाला वोट कांग्रेस की ओर भी जा सकता था। लेकिन केजरीवाल से टूटने वाले 10 फीसदी वोट में से आठ फीसदी वोट भाजपा की ओर गया। (Delhi new cm)
इसका मतलब है कि यह भाजपा के पक्ष में एक सकारात्मक जनादेश है। दिल्ली के लोगों ने अपने रोजमर्रा के जीवन की समस्याओं को दूर करने और राजधानी की दीर्घकालिक बेहतरी के लिए इस बार भाजपा से उम्मीद जोड़ी है।
ठीक इसी तरह दिसंबर 2013 में लोगों ने आम आदमी पार्टी से उम्मीद की थी। उस समय अरविंद केजरीवाल के लिए सकारात्मक जनादेश दिया था, दिल्ली के लोगों ने। तब भी अगर सिर्फ कांग्रेस को हराने का लक्ष्य होता तो कांग्रेस से टूट कर वोट भाजपा की ओर जाते। लेकिन कांग्रेस का वोट केजरीवाल की ओर गया।
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बहरहाल, दिल्ली के जनादेश की इस व्याख्या का मकसद यह बताना है कि दिल्ली के लोग कुछ बेहतर चाहते हैं। वह चाहना अपने निजी और रोजमर्रा के जीवन से भी जुड़ी है तो दिल्ली में कुछ बड़े बदलावों या सुधारों से भी जुड़ी है।
दिल्ली की कुछ समस्याएं चिरंतन हैं। इनमें यमुना की गंदगी, हवा का प्रदूषण, ट्रैफिक की समस्या, कचरे का निष्पादन, अनियमित कॉलोनियों का मामला आदि शामिल हैं। रोजमर्रा की समस्याएं अलग हैं। जैसे पीने का साफ पानी नहीं मिलता है।
जल बोर्ड से ऐसा लगता है, जैसे नाले का पानी घरों में पहुंचाया जा रहा हो। दिल्ली की सड़कों पर गंदगी और जलजमाव, सड़कों का अतिक्रमण, कुकुरमुत्ते की तरह झुग्गी झोपड़ियों का बढ़ना, रोजगार और नौकरी की समस्या, महंगाई आदि। (Delhi new cm)
इसके अलावा एक तीसरा पक्ष है राष्ट्रीय राजधानी के अनुरूप दिल्ली में बुनियादी ढांचे का विकास और सौंदर्यीकरण। क्या भाजपा की सरकार इन तीनों कसौटियों पर दिल्ली के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगी?
यह सवाल अरविंद केजरीवाल की सरकार के समय भी थे लेकिन चूंकि उनकी सरकार के कामकाज के रास्ते में कई बाधाएं थीं। केंद्र की भाजपा सरकार से उन्होंने पहले दिन से टकराव मोल लिया था क्योंकि उनको दिल्ली की सत्ता को सीढ़ी बना कर राष्ट्रीय राजनीति करनी थी।
भाजपा की सरकार के साथ ऐसा नहीं है। दिल्ली में अब डबल इंजन की सरकार बन गई है और सब कुछ भाजपा की योजना के हिसाब से हुआ तो अप्रैल में ट्रिपल इंजन की सरकार बन जाएगी।
केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है और दिल्ली में रेखा गुप्ता की सरकार बन गई। अप्रैल में दिल्ली नगर निगम में भाजपा का मेयर चुन लिया जाएगा। (Delhi new cm)
तीन वोट से मेयर का चुनाव जीती (Delhi new cm)
पिछले साल आम आदमी पार्टी सिर्फ तीन वोट से मेयर का चुनाव जीती थी। अब समीकरण बदल गए हैं। पिछले दिनों आप के तीन पार्षद भाजपा में शामिल हुए। (Delhi new cm)
इसके अलावा विधानसभा के स्पीकर की ओर से मनोनीत भाजपा के 14 विधायक भी मेयर के चुनाव में वोट करेंगे। सो, अप्रैल में मेयर भी भाजपा का हो जाएगा। इसके अलावा पहली बार ऐसा है कि दिल्ली के साथ साथ एनसीआर यानी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सभी सरकारें भाजपा की हैं।
हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तीनों जगह भाजपा की सरकार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विजयी भाषण में इसका जिक्र भी किया था। सो, अब तो दिल्ली की समस्याओं के दूर होने में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए!
ध्यान रहे दिल्ली की प्रशासनिक संरचना बहुत जटिल है। दिल्ली की चुनी हुई सरकार असली सरकार नहीं है। दिल्ली के उप राज्यपाल असली सरकार हैं। (Delhi new cm)
जीएनसीटीडी एक्ट के तहत सारे अधिकार उनको दिए गए हैं और उप राज्यपाल केंद्रीय गृह मंत्री को रिपोर्ट करते हैं। उनके अधीन कानून व्यवस्था और जमीन का मामला है। ऐसे ही दिल्ली नगर निगम के पास साफ सफाई से लेकर कई और काम हैं।
बचे हुए काम दिल्ली सरकार के पास हैं लेकिन उसमें भी अंतिम फैसला उप राज्यपाल के यहां से होता है। अब मुख्यमंत्री और उप राज्यपाल एक राय से फैसला करेंगे तो दिल्ली की समस्याओं के निराकरण में कोई मुश्किल नहीं आनी चाहिए।
यमुना-गंगा की सफाई का जिम्मा केंद्र के पास (Delhi new cm)
परंतु क्या सचमुच ऐसा हो पाएगा? दिल्ली की चिरंतन और रोजमर्रा की समस्याओं का समाधान और दीर्धकालिक विकास के लिए बड़ी प्लानिंग और प्रतिबद्धता की जरुरत है। वह दिखावे के कामकाज से संभव नहीं है।
मिसाल के तौर पर सरकार गठन से पहले यमुना में सफाई शुरू हो जाने का दिखावा शुरू हो गया है। यमुना में चल रही मशीनों की तस्वीरें साझा की जा रही हैं। लेकिन इससे कोई भरोसा नहीं बनता है। (Delhi new cm)
क्योंकि यमुना और गंगा की सफाई का जिम्मा केंद्र सरकार के पास भी था। उसका क्या हुआ? अगर केंद्र सरकार के पास इतनी प्लानिंग, संसाधन और प्रतिबद्धता है तो उसने गंगा को साफ क्यों नहीं कर दिया?
तभी ऐसा लग रहा है कि समस्याओं को जड़ से खत्म करने, दिल्ली के लोगों को राहत देने और दिल्ली को सुंदर यानी विश्वस्तरीय राजधानी के तौर पर विकसित करने की बजाय कुछ ऊपरी साज सज्जा और दिखावे वाले काम ज्यादा होंगे।
हो सकता है कि दिल्ली के कुछ हिस्सों में यमुना की सफाई हो जाए और रिवर फ्रट विकसित हो जाए, जैसा साबरमती के किनारे अहमदाबाद में हुआ है। (Delhi new cm)
लेकिन उससे दिल्ली की बेहतरी का लक्ष्य हासिल नहीं होगा। हवा और पानी की साफ सफाई के लिए दिल्ली और एनसीआर की सरकारों को मिल कर बहुत उच्च स्तर की प्रतिबद्धता के साथ काम करना होगा।
दिल्ली का संदेश पूरे देश में
एक तरफ भाजपा के लिए यह मौका है कि उसकी डबल या ट्रिपल इंजन वाली सरकार दिल्ली में बन गई है और एनसीआर की सभी सरकारें भी उसकी हैं। (Delhi new cm)
लेकिन दूसरी तरफ यह बड़ी चुनौती भी और इसमें राजनीतिक नुकसान की संभावना भी छिपी है। अरविंद केजरीवाल के पास अपने को बचाने का एक तरीका था कि उप राज्यपाल या केंद्र सरकार काम नहीं करने दे रहे हैं।
भाजपा की दिल्ली सरकार के पास ऐसा कोई बहाना नहीं होगा। अगर सरकार लोगों की उम्मीदों के मुताबिक काम नहीं कर पाती है तो भाजपा के खिलाफ ट्रिपल एंटी इन्कम्बैंसी हो सकती है। (Delhi new cm)
सत्ता विरोध का माहौल उसको राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों में भी नुकसान पहुंचा सकता है और राष्ट्रीय स्तर पर भी हानिकारक हो सकता है। ध्यान रहे दिल्ली का संदेश पूरे देश में जाता है।
सो, अगर दिल्ली में वादे के मुताबिक काम होता है और दिल्ली की स्थायी व अस्थायी समस्याओं को दूर करने का व्यवस्थित प्रयास होता है तो भाजपा को उसका फायदा होगा और अगर नहीं होता है तो उसे बड़ा नुकसान हो सकता है।
इसी तरह डबल या ट्रिपल इंजन की सरकार के सामने ‘मुफ्त की रेवड़ी’ का मॉडल भी दिल्ली में दिखाने की चुनौती है, जिसके आधार पर इस साल बिहार में और अगले साल कई राज्यों में चुनावी नैरेटिव सेट किया जाएगा। (Delhi new cm)