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19-07-2025 Vol 19

इंग्लिश समर में भारतीय उत्सव

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इंग्लैंड श्रृंखला में पांच टेस्ट मैचों में से हमारी क्रिकेट टीम को अभी दो मैच और खेलने हैं। जिस शानदार संघर्ष और अद्वितीय जुझारूपन से हमारी टीम इंग्लैंड में खेल रही है, उसमें निराशा के लिए कोई जगह नहीं हो सकती। पांच दिन के लॉर्ड्स टेस्ट में आखिरी दिन के आखिरी घंटे तक भी तीनों नतीजों की संभावना बरकरार थी। पिच पर डटे सिराज की गिल्लियाँ जब गेंद से गिरीं, तभी इंग्लैंड को जीत का उत्सव मनाने का मौका मिला।

अपन जानते हैं कि जीवन को सत्यता में, वास्तव में बिना लाग-लपेट के दर्शाने वाले तो अपने खेल ही हैं। ज़माना बेशक रियलिटी टीवी की ड्रामेबाज़ी का हो, लेकिन खेलों की असल और अलिखित शैली ने ही इन्हें आज तक आकर्षक और लोकप्रिय बनाए रखा है। नए परिदृश्य में, नए उत्साह के साथ खेलों का उत्सव लगातार चलता और मनाया जाता रहा है। इंग्लैंड की इस सुनहरी गर्मी में, वातानुकूलित ठंड की खिली धूप के बीच खेलों का उत्सव जारी है। सात समंदर पार के दर्शक भी उस उत्सव को आत्मसात कर रहे हैं। एजबेस्टन टेस्ट में हमारी क्रिकेट टीम ने श्रृंखला बराबर की, तो लॉर्ड्स टेस्ट में दो-एक से पिछड़ गई। क्या जो उम्मीदें एजबेस्टन में जगी थीं, वे लॉर्ड्स के बाद नाउम्मीदी में ढल गई हैं? जीवन-उत्सव में हार-जीत, जीने के उत्साह की हार-जीत नहीं हो सकती।

अपने यहां भी वर्षा ऋतु, यानी मानसून का उत्सव चल रहा है। खुशनुमा मौसम में चारों ओर अच्छी बारिश हो रही है। लेकिन जहां नदियाँ उफान पर हैं, वहीं बाढ़ भी आ रही है। पर्यावरण के बदलावों और पेड़ कटने से पहाड़ भी सरक कर सड़कों पर आ रहे हैं। पहाड़ों में लोगों के घर बह रहे हैं, और नदी पार करने के पुल डूब रहे हैं। यह सिर्फ अपने यहां ही नहीं हो रहा, और न ही यह आपदा या त्रासदी पहले कभी नहीं हुई हो — ऐसा भी नहीं है। मगर अब मानवीय लालसाओं और बदलते पर्यावरण के कारण दुनिया भर में आपदाएँ और त्रासदियाँ बढ़ रही हैं — जिन्हें हम अब अपने ड्रॉइंगरूम में बैठकर भी देख सकते हैं। इन आपदाग्रस्त इलाकों में आम लोगों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हुआ है। हाँ… प्रकृति का खेल और उत्सव तो ऐसे ही चलता रहा है, चलता रहेगा।

इंग्लैंड श्रृंखला में पांच टेस्ट मैचों में से हमारी क्रिकेट टीम को अभी दो मैच और खेलने हैं। जिस शानदार संघर्ष और अद्वितीय जुझारूपन से हमारी टीम इंग्लैंड में खेल रही है, उसमें निराशा के लिए कोई जगह नहीं हो सकती। पांच दिन के लॉर्ड्स टेस्ट में आखिरी दिन के आखिरी घंटे तक भी तीनों नतीजों की संभावना बरकरार थी। पिच पर डटे सिराज की गिल्लियाँ जब गेंद से गिरीं, तभी इंग्लैंड को जीत का उत्सव मनाने का मौका मिला।

इंग्लैंड के खिलाड़ी दौड़कर पहले सिराज के पास पहुंचे, उन्हें सांत्वना दी, फिर दूसरे छोर पर लगभग पूरे दिन डटे रहे रविंद्र जडेजा के पास भी गए। हर दिन नई संभावना और नए रोमांच से भरे टेस्ट मैच के अंतिम क्षण में इंग्लैंड को खुशी मिली — और भारत को क्षणिक दुख। अब अगले, ओल्ड ट्रेफर्ड टेस्ट से पहले हमें हार से उबरना होगा और नए जोश के साथ फिर मैदान में उतरना होगा। जैसे जीवन में सुख-दुख चलते रहते हैं, वैसे ही खेल में उत्सव हो या निराशा — ढांढस बंधाना और सांत्वना देना भी चलता रहता है।

जो दिल धड़काने वाला रोमांच टेस्ट क्रिकेट में खेला जा रहा है और दिख रहा है, वह भी पर्यावरण में हो रहे बदलाव का ही असर है। बीस-बीस ओवरों वाले खेल की लोकप्रियता के कारण, क्रिकेट खेलने की सोच और शैली में बदलाव ज़रूर आया है — मगर यही तो इस खेल की प्रकृति है। बल्लेबाज़ का रन बनाना, गेंदबाज़ का विकेट निकालना — फिर जो 22 गज की पिच और उसके चारों ओर का वातावरण खिलाड़ियों को जो अवसर देता है, उसमें ही उनकी असली योग्यता और क्षमता की परीक्षा होती है। लगातार गर्मी और इंग्लैंड की नई खेल-नीति के चलते पिचें सूखी और पांच दिन चलने लायक बनाई गईं। इंग्लैंड अब बल्लेबाज़ी के दम पर हर बड़े स्कोर को पार करने की मानसिकता के साथ खेलना चाहता है। इन तमाम परिस्थितियों में जो मनोबल रखे, जो ढांढस बांधे और जूझने की कला जानता हो — वही हार-जीत की साझेदारी में टिक सकता है। इंग्लैंड और भारत — दोनों अपनी ताक़त झोंकने में जुटे हैं।

इंग्लैंड में भारतीय उत्सव इसलिए भी जारी है क्योंकि वहाँ हमारी महिला टीम भी शानदार क्रिकेट खेल रही है। और महिला–पुरुष टीमों के अलावा, अंडर-19 के लड़के भी गौरवशाली और आकर्षक क्रिकेट से दर्शकों का दिल जीत रहे हैं। टेलीविज़न के कारण दूर की चीजें अब पास से दिख रही हैं। इसलिए उत्सव हो या आपदा — दोनों हमारे आसपास ही महसूस हो रहे हैं। यह हमारे मनोबल, दृढ़ता और संघर्ष की परीक्षा का समय है।

संदीप जोशी

स्वतंत्र खेल लेखन। साथ ही राजनीति, समाज, समसामयिक विषयों पर भी नियमित लेखन। नयाइंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर।

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