Wednesday

30-04-2025 Vol 19

विएतनामी बांस मुड़ेगा या टूटेगा?

खाने के बाद रोज़ाना की अपनी 15 मिनट की चहलकदमी के दौरान मैंने नेशनल पब्लिक रेडियो (एनपीआर) का एक पॉडकास्ट सुना। उसका शीर्षक था “ट्रम्प के चीन पर टैरिफ से कुछ देश फायदे में रहेंगे। विएतनाम उनमें से एक है।”

छह मिनट के इस पॉडकास्ट को मैंने बहुत ध्यान से सुना। क्यों? क्योंकि उसके शीर्षक में विएतनाम शब्द था। और विएतनाम मुझे बेहद पसंद है। मुझे मुझे उतना ही आकर्षित करता है जितना स्कॉटलैंड या यूरोप। विएतनाम में क्या है जिसने मुझे उसका मुरीद बना दिया है? वह है तबाही, धक्कों से उबरने की उसकी क्षमता, उसकी अपनी लय, अलग अनुभूति देता उसका इतिहास और दुनिया में उसका बढ़ता हुआ नाम। मैं दक्षिणपूर्व एशिया की अपनी पहली यात्रा में विएतनाम गई थी। मैंने विएतनाम क्यों चुना? आखिर बहुत साल नहीं हुए जब वह देश जंग का खौफनाक मैदान था।

ईमानदारी की बात है कि मैं भी कुछ घबराई हुई थी। मैंने वहां की यात्रा के लिए कोई चमकीला गहना नहीं रखा, आशीष से कहा कि हम केवल एक कैमरा ले जाएंगे, कम से कम सामान पैक किया और एंटी-थेफ़्ट बैकपैक खरीदे। आखिर हम एक ऐसे देश में जा रहे थे जहाँ के लोग बम ओर गोलियों की आवाज़ और बारूद की गंध भूले नहीं होंगे। मगर हमने जो देखा उसने हमें चकित कर दिया। विएतनाम कहीं से भी जंग में बरबाद देश नज़र नहीं आ रहा था। ऐसा एकदम नहीं लग रहा था कि यह वह देश है जिसे हवाई हमलों, कम्युनिस्टों और राजनीति ने उजाड़ दिया था।

वह जीवंत था। थोड़ा सा अस्तव्यस्त मगर आधुनिक और सुन्दर! मतलब एक ऐसी जगह जिसे भूल पाना आसान नहीं होता।

उत्तर में हनोई से दक्षिण में हो ची मिन्ह सिटी की यात्रा करते हुए इस देश के दो अलग-अलग पहलुओं से आपका सामना होता है। विएतनाम का तेज़ी से शहरीकरण हो रहा है मगर जंग की यादें अब भी मिटी नहीं हैं। आपको आज में गुज़रे हुए कल की परछाईयां दिखती हैं। विएतनाम आधुनिकता के अपनाए हुए है मगर अतीत को उसने त्यागा नहीं है। सन् 1954 से अब तक देश की राजधानी हनोई बनी हुई है। वहां अमेरिका की बमबारी के निशां हैं, मगर इससे शहर की कशिश कम नहीं होती। हनोई मुझे वाशिंगटन डीसी की याद दिलाता है – अदब के साथ, धीरे-धीरे खुलता इतिहास का एक पन्ना। इसके मुकाबले दक्षिण में हो ची मिन्ह सिटी भड़कीली है, बोल्ड है और पूँजीवाद के प्रतीकों से अटी पड़ी है – मानों लन्दन और न्यूयार्क का घोल हो। स्थानीय लोग इस शहर को अब भी उसके पुराने नाम साईगौन के नाम से पुकारते हैं। हनोई और हो ची मिन्ह सिटी एक-दूसरे के विलोम हैं।

विएतनाम करीब दो दशकों तक दुनिया से अलग-थलग रहने के बाद तेजी से आगे बढ़ा है। वह भी अपने तरीके से। विकास से उसकी पुरानी खुशबू गायब नहीं हुई है, उसका अनगढ़ आकर्षण समाप्त नहीं हुआ है। मगर इसके साथ ही उसमें एक नयापन है। सड़कों पर शानदार रेस्टोरेंट और कैफ़े हैं। छोटे-छोटे प्लास्टिक के स्टूलों पर बैठ कर गर्मागर्म फ़ो खाते और ठंडी बियर पीते हुए शहर को देखने का अपना मज़ा है।

जिस चीज़ ने मुझे बहुत प्रभावित किया वह यह है कि विएतनाम अपने अतीत का पूरी शिद्दत से सम्मान करता है। उसके म्यूजियम केवल इतिहास को दिखाते नहीं हैं – इतिहास को महसूस करवाते हैं। आपको युद्ध को देखते नहीं हैं, उसका अनुभव करते हैं। यह एक ऐसा देश है जो आगे बढ़ते हुए भी अतीत को भूलने को तैयार नहीं है। इस देश में आकर आप ताज़ा दम हो जाते हैं। विएतनाम केवल अपना अस्तित्व बचाने में सफल नहीं रहा है। वह फल-फूल रहा है। मगर वह कुछ भी नहीं भूला है।

यह लेख मेरी छुट्टियों के बारे में नहीं है। यह इसके बारे में है कि किस प्रकार ट्रंप के टैरिफ विएतनाम के लिए वैश्विक स्तर पर मुसीबतें खड़ी कर सकते हैं। यह इस बारे में है कि किस तरह अमेरिका इस देश और उसकी प्रगति पर ग्रहण लगाने को तैयार है। नौ अप्रैल से विएतनाम पर अमेरिका का जवाबी 46 प्रतिशत टैरिफ लागू हो जायेगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वियतमान का अमेरिका से आयात, अमेरिका को उसके निर्यात की तुलना में 123 बिलियन डॉलर कम है।  यह घोषणा होते ही हो ची मिन्ह स्टॉक इंडेक्स में 7 प्रतिशत की गिरावट आई। यह पिछले दो दशकों में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है।

विएतनाम की हालिया आर्थिक  सफलताओं  के पीछे है ‘चाइना प्लस वन’ के रूप में उसकी भूमिका। बढ़ते वेतन और टैरिफ के चलते वस्तुओं के उत्पादकों ने चीन से किनारा करना शुरू किया। विएतनाम उनकी दूसरी पसंद बन गया। वहां श्रम सस्ता है, काम करने के लिए युवा लोग मौजूद हैं और मज़बूत अधोसंरचना है। सैमसंग और नाइकी जैसे बड़े नाम विएतनाम में फैक्ट्री बना बैठे। कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें अमेरिका विएतनाम का सबसे बड़ा ग्राहक है।  विएतनाम में बने जूते-चप्पलों में से 35 फीसद और उसके आधे से ज्यादा खिलौने और खेल उपकरण अमेरिकी दुकानों में बिकते हैं।

इससे विएतनाम बहुत आसान निशाना बना है। अब चीन के बाद उसे सबसे उच्च टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। मगर घबराने की बजाय उसने कूटनीति का सहारा लिया है। प्रधानमंत्री टो लैम ने ट्रंप को चिट्ठी लिखकर कहा है कि नए टैरिफ लागू करने की तारीख 45 दिन बढ़ायी जाए। और उपप्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन पहुंच चुका है।

मगर विएतनाम के पास देने के लिए कुछ ख़ास नहीं है। वह अमेरिकी आयात पर शुल्क घटा सकता है (अभी वह औसतन 3 प्रतिशत है) मगर उससे कुछ विशेष होना-जाना नहीं है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि विएतनाम, चीनी माल को अपने देश के ज़रिये खपा रहा है। इस प्रकार व्यापारिक धोखाधड़ी के लिए चीन का उपनिवेश बन गया है। आरोप कई हैं।  समाधान जटिल हैं। वियतमान को बहुत फूँक-फूँक कर कदम उठाने होंगे। अगर वह अमेरिका के साथ बहुत उदारता बरतता है तो उसके अन्य व्यापारिक रिश्ते ख़राब होंगे। इनमें 17 फ्री-ट्रेड समझौते शामिल हैं। और चीन तो सब कुछ देख ही रहा है। शी जिनपिंग जल्दी ही वियतमान की यात्रा पर आने वाले हैं। इस यात्रा से गठबंधन बन-बिगड़ सकते हैं और विएतनाम की बहुत सोची-समझी और लचीली विदेश नीति – जिसे बेम्बू डिप्लोमेसी कहा जाता है – के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। ट्रंप के दबाव में विएतनामी बांस मुड़ेगा या टूट जाएगा।

विएतनाम ने युद्धों, प्रतिबंधों और अलगाव का सामना सफलतापूर्वक किया है। मगर इस बार जंग का मैदान आर्थिक है। तूफ़ान बहुत जोर का है। विएतनाम आगे बढ़ता रहेगा या उसके अच्छे दिन लद गए हैं। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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