नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की बैठक में सदस्य देशों को आईना दिखाया। उन्होंने कहा कि एससीओ को आतंकवाद के मसले पर कठोर रुख अख्तियार करना होगा। चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की मौजूदगी में जयशंकर ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का मुद्दा उठाया और कहा कि यह हमला अचानक नहीं हुआ था, बल्कि साजिश के तहत इस हमले को अंजाम दिया गया था, जिसका मकसद भारत में धार्मिक विभाजन बढ़ाना था। उन्होंने इसके जवाब में भारत की ओर से की गई सैन्य कार्रवाई को जायज ठहराते हुए उसका बचाव किया।
चीन के तिनजियान में चल रही एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में जयशंकर ने याद दिलाया कि इस संगठन की स्थापना ‘आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ’ से मुकाबले के लिए हुई थी। उन्होंने कहा कि जिन तीन खतरों से लड़ने के लिए एससीओ की स्थापना हुई थी वे अलग अलग नहीं आते हैं, बल्कि तीनों एक साथ आते हैं। इसके बाद उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले को इसकी मिसाल बताया।
जयशंकर ने कहा कि एससीओ के सदस्य देशों को ‘आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ’ कठोर रुख अख्तियार करना होगा और बिना किसी भेदभाव या समझौते के इसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद भारत के विदेश मंत्री पहली बार चीन की यात्रा पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि पहलगाम कांड के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बहुत कठोर शब्दों में इसकी निंदा की थी। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि सुरक्षा परिषद ने आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले, प्रश्रय देने वाले और उसकी फंडिंग करने वालों की पहचान करके उनके खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई की जानी चाहिए।