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01-07-2025 Vol 19

ट्रंप तो भारत के महा दुश्मन!

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को क्या हो गया है? उनकी प्रधानमंत्री मोदी से खुन्नस है या भारत से? वे चीन और पाकिस्तान जैसा ही भारत विरोधी रूख बना बैठे हैं। मैंने वैश्विक कूटनीति की 45 वर्ष की खबरनवीसी में कभी किसी विश्व नेता के मुंह से ऐसा नहीं सुना जैसे ट्रंप के इन दिनों भारत की इज्जत उतारने वाले बयान हैं। भला कोई राष्ट्र नेता अपने खरबपति को मित्र राष्ट्र में लगी लगाई फैक्टरी को बंद करने की सार्वजनिक सलाह देता है? एपल दुनिया की नंबर एक कंपनी है। दुनिया की शान है और उसने भारत में फैक्टरी लगाई है।

उसे चीन से काम समेटना है और भारत में लगे कारखाने को फैलाने का फैसला है तो ट्रंप ने एपल के सीईओ टिम कुक को क्यों झाड़ा? उन्होंने सार्वजनिक तौर पर बताया, ‘मैं नहीं चाहता हूं कि एपल अपने प्रोडक्ट वहां बनाएं। वे भारत में फैक्टरी लगाएं यह बरदाश्त नहीं होगा। मुझे कल टिम कुक के साथ थोड़ी परेशानी हुई। मैंने उनसे कहा, टिम, तुम मेरे दोस्त हो, मैंने तुम्हारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया, तुम पांच सौ अरब डॉलर लेकर आ रहे हो, लेकिन अब मैं सुन रहा हूं कि तुम भारत में पूरा प्रोडक्शन कर रहे हो। मैं नहीं चाहता कि तुम भारत में प्रोडक्शन करो’।

क्यों भला? ऐसी क्या भारत से दुश्मनी? समझ सकते हैं कि ट्रंप अपनी सभी कंपनियों को ‘मेड इन अमेरिका’ का पाठ पढ़ा रहे हैं। लेकिन एपल और अमेरिकी कंपनियों के सीईओ अपने राष्ट्रपति की इच्छा से नहीं चला करते। इसलिए ट्रंप का यह कहा मतलब वाला है कि टिम कुक के साथ उन्हे परेशानी हुई। जाहिर है टिम कुक ने सुना-अनसुना किया होगा।

तभी भारत के खिलाफ वैश्विक कंपनी को झाड़ने का ट्रंप ने सार्वजनिक मैसेज बनाया। इतना ही नहीं ट्रंप ने भारत के खिलाफ फिर यह बात दोहराई कि ‘भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा टैरिफ वाले देशों में से एक है। भारत में बेचना बहुत मुश्किल है’!

क्या ट्रंप भारत के अपमान पर उतारू हैं

ट्रंप का यह कहा विदेश यात्रा के दौरान, खाड़ी के देशों में था, जहां उन्होंने अमेरिकी निवेशकों, कंपनियों के सीईओ के साथ सऊदी अरब, कतर, यूएई आदि से धंधा बढ़ाने, खरबों के निवेश के सौदे पटाए हैं। और वही से भारत के लिए यह मैसेज कि भारत में सब मुश्किल है। और वे एपल कंपनी को वहा फैक्टरी बंद करने के लिए कह रहे हैं!

साथ ही कतर की राजधानी दोहा में छह दिनों में पांचवी बार ट्रंप ने दोहराया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के लिए व्यापार की तलवार लटकाई!

यह सब भारत को अपमानित करना नहीं तो क्या है? प्रधानमंत्री मोदी, सुरक्षा सलाहकार डोवाल, विदेश मंत्री जयशंकर के सार्वजनिक रूख, भारत की दशकों पुरानी रीति-नीति, कूटनीति को टके भाव खारिज कर देना नहीं तो क्या है?

तभी लाख टके का सवाल है आखिर ऐसा हुआ क्या? आठ और नौ मई को ट्रंप और उनके उप राष्ट्रपति जेडी वेंस का दो टूक स्टैंड था कि हमारा भारत और पाकिस्तान की लड़ाई से कोई मतलब नहीं है। हम इस पचड़े में नहीं पड़ेंगे। मगर दस मई को दोनों देशों की सेनाओं के वार-प्रतिवार के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक बोला कि अमेरिका की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच लंबी वार्ता के बाद सीजफायर पर सहमति बनी है!

पहली बात, अचानक ट्रंप और वेंस क्यों पचड़े में पड़े? क्यों मध्यस्थ हुए? उस दिन समाचारों में मोदी, डोवाल और जयशंकर के ट्रंप, वेंस और विदेश मंत्री मार्को रूबियो से फोन पर बात होनी की सूचना थी।

गुरूवार को दोहा में अमेरिकी सैनिक अड्डे में भाषण देते हुए ट्रंप ने अपने विदेश मंत्री मार्को रूबियो को श्रेय देते हुए कहा, मार्को, जरा खड़े होना, क्या कमाल का तुमने काम किया था तब …अब हमें इन्हें थोड़ा और साथ ला देना चाहिए, ताकि ये दोनों साथ बाहर जाएं और किसी अच्छी जगह खाना खाएं…( “Marco, stand up. What a great job you did on that,”..Maybe we can even get them together a little bit, Marco, where they go out and have a nice dinner together.”)

ट्रंप को इतना गुमान और घमंड! वे किसको डिनर करवाएंगे? क्या मोदी वापिस शरीफ के घर पकौड़े खाने जाएंगे? या शरीफ भारत आ कर पकौड़ा कूटनीति करेंगे? या पाकिस्तान का सेना प्रमुख आसिम मुनीर अपने डोवालजी और जयशंकरजी के साथ डिनर करेगा? आखिर पाकिस्तान में विदेश मंत्री, सुरक्षा सलाहकार का तो कोई मतलब है नहीं। पाकिस्तान का अब एकमेव हीरो सेना प्रमुख आसिम मुनीर है।

इतना ही नहीं, दोहा में ट्रंप ने दावा किया कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर जीरो टैरिफ लगाने के लिए राजी हो गया है। उन्होंने हमें एक डील ऑफर की है जिसके तहत वे (भारत) हमसे कोई टैरिफ नहीं वसूलने को तैयार हैं’।

ध्यान रहे ट्रंप भी टेलिप्रॉम्पटर को देख कर बोलते हैं। इसका अर्थ है विश्वगुरू, सुपर पॉवर, मोदी के अमृतकाल का कथित अमृतमय भारत आज निर्विवाद रूप से ट्रंप और उनके प्रशासन के आगे दो कौड़ी की हैसियत लिए हुए है! तभी इतनी बेबाकी से भारत की इज्जत का फालूदा बना दे रहे हैं। दुनिया की निगाहों में भारत को पाकिस्तान के बराबर खड़ा कर उन्हें उसके साथ ‘डिनर’ करने के लिए कह रहे हैं?

ट्रंप बिना स्वार्थ के कुछ भी नहीं करते। वे निश्चित उन मुस्लिम देशों (कतर, सऊदी अरब, यूएई) आदि देशों के साथ हैं, जिन्होंने नरेंद्र मोदी को झांसा देते हुए उन्हें अपने राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा लेकिन जब इस्लामी देशों की एकमेव परमाणु महाशक्ति पाकिस्तान को फंसते, उसकी इज्जत डूबते देखा तो सभी ने मिलकर डोनाल्ड ट्रंप को आगे किया और उन्होंने भारत का टेंटुआ दबा कर न केवल मजबूर किया, बल्कि उसके बाद से वे हर दिन भारत के मान-सम्मान का फालूदा बना रहे हैं।

मेरी यह धारणा इसलिए दमदार है क्योंकि कतर में ट्रंप ने दुनिया को बताया कि कतर का बादशाह शेख तो उनका तब से यार है जब उन्होंने राष्ट्रपति बनने की कल्पना भी नहीं की थी। पता नहीं मोदी, डोवाल, जयशंकर की सर्वज्ञानी तिकड़ी को वैश्विक कूटनीति का यह सामान्य भान है भी या नहीं!

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Pic Credit: ANI

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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