unemployment

  • समस्या से आंख मूंदना

    बेरोजगारी के मुद्दे को चुनाव में नजरअंदाज करना बहुत बड़ा जोखिम उठाना है। यह बात अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए कि देश चाहे जितनी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाए, लेकिन अगर करोड़ों युवा बेरोजगार बने रहते हैं, तो उससे भारत का कोई भला नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समाचार एजेंसी को एक घंटा 17 मिनट का लंबा वीडियो इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने विभिन्न विषयों की चर्चा की। अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और अगले एजेंडे पर चर्चा की। फिर भी इस इंटरव्यू में कई जरूरी मसले नहीं आए। बेरोजगारी जैसी विकराल होती जा रही समस्या की भी इसमें अनदेखी...

  • महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार भी मुद्दा!

    अब यह सिर्फ राहुल गांधी या विपक्ष के नेता नहीं कह रहे हैं कि महंगाई और बेरोजगारी देश की सबसे बड़ी समस्या है। सीएसडीएस और लोकनीति के सर्वेक्षण में आम लोगों ने स्वीकार किया है कि वे महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से परेशान हैं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस सर्वेक्षण में देश के 71 फीसदी लोगों ने माना है कि जरूरी चीजों की कीमतें बढ़ी हैं और इससे परेशानी हो रही है। अगर इस आंकड़े की बारीकी में जाएं तो जो गरीब हैं उनमें से 76 फीसदी ने कहा है कि महंगाई परेशान कर रही है। मुसलमानों और...

  • एक गौरतलब चेतावनी

    आम चुनाव के दौर में अपेक्षा रहती है कि देश की वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न राजनीतिक दल अपना कार्यक्रम सामने रखेंगे। यह तो निर्विवाद है कि इस समय बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। लेकिन इसके समाधान पर सियासी दायरे में पूरी चुप्पी है। अब विश्व बैंक ने भारत को आगाह किया है। विषय वही है यानी रोजगार के अवसरों का अभाव- एक ऐसी सूरत जिसमें तेज आर्थिक वृद्धि दर के साथ-साथ उतनी ही तेजी से बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही है। विश्व बैंक ने दक्षिण एशिया के बारे में जारी अपने आकलन में भारत को चेतावनी दी...

  • चुनाव बेरोजगारी और महंगाई पर होगा

    राहुल ने राजनीतिक बात कही थी। मोदी जी उसे धार्मिक बना रहे हैं।वैसे ही जैसे कर्नाटक चुनाव मेंनरेंद्र मोदी ने बजरंग दल को बजरंग बली के रुप में पेश किया था।नारे लगाए। कहा जय बजरंग बली कहकर वोट डालने जाना। जनता ने जयबजरंग बली बोला और बीजेपी के खिलाफ वोट डाल आई।मोदीजी ने कर्नाटक चुनाव परिणामों सेकोई सबक नहीं लिया।..इस बार लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ मोदी जी ने राहुल के एक शब्द को पकडॉ शक्ति का पहला मुद्दा  बनाया। इसका मतलब क्या दस साल सरकार चलाने के बाद प्रधानमंत्रीमोदी के पास अपनी उपलब्धियां बताने के लिए कुछ नहीं...

  • विपक्ष क्या भ्रष्टाचार का मुद्दा बना पाएगा?

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

  • बेरोजगारी का यह आलम

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

  • यह एक नई चुनौती

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

  • बेरोजगारी का गंभीर मसला

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

  • रोजगार की भयावह तस्वीर

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

  • बेरोजगारी है विकराल, गंभीर बने!

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

  • चार महीने में सबसे ज्यादा बेरोजगारी

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

  • गरीबी, बेरोजगारी बरदाश्त करने की अंतहीन सीमा!

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

  • 140-170 करोड़ लोगों में कमाने वाले और खाने वाले!

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

  • बेरोजगार नौजवानों से बरबादी के खतरे!

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

  • बेरोजगारी दर आठ फीसदी से ऊपर

    भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए सत्ता परिवर्तनों में कुछ बातें बहुत कॉमन रही हैं। ऐसा शायद कभी नहीं हुआ है, कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर, कि देश के मतदाताओं ने सकारात्मक रूप से सत्ता परिवर्तन के लिए मतदान किया हो। अच्छे की उम्मीद में या ज्यादा विकास की उम्मीद में मतदान करके सत्ता परिवर्तन की मिसाल नहीं है। राज्यों के स्तर पर जरूर ऐसी कुछ मिसालें हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संभवतः एक बार भी ऐसा नहीं हुआ। (Loksabha election 2024) यह भी पढ़ें: कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक लगभग हर...

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