भोपाल। साध्वी उमा भारती के अभिनंदन और सार्वजनिक तौर पर एक दूसरे को दिए गए मान सम्मान से शिवराज निर्विवाद, स्वीकार्य से आगे सर्वमान्य हो गए हैं.. चुनावी साल में कुनबे को मजबूत करने के लिए सबको साथ लेकर आगे बढ़ने के लिए जिस नेता और नेतृत्व की दरकार पार्टी को होती है वह भाजपा शिवराज में देख रही है… मोदी शाह नड्डा और परदे के पीछे संघ को भरोसे में लेकर मिशन 2023 फतेह करने के लिए आगे बढ़ रहे शिवराज ने एक बार फिर खुद को समन्वय की सियासत का पुरोधा साबित किया.. इसे शिवराज की दूरदर्शिता ही कहा जाएगा कि शराब नीति के मुद्दे पर उन्होंने न सिर्फ उनके सुझाव को गंभीरता से लिया.. यही नहीं नई नीति से व्यक्तिगत प्रतिष्ठा जोड़ चुकी साध्वी का मान रखा बल्कि टकराहट, अनिश्चितता ,विवाद जोर आजमाइश जो चुनाव में नुकसान पहुंचा सकती थी.. सभी कयास और अटकलों पर विराम लगाते हुए बिसात चुनाव 23 की बिछा दी… भाजपा कुनबे को मजबूत करने के बाद शिवराज के लिए अब मोहरों को तैनात कर सहयोगी क्षत्रपों, दिग्गजों की जवाबदेयी तय करने की तैयारी है.. मध्यप्रदेश में बदलते राजनीतिक परिदृश्य में खासतौर से चौथी बार शिवराज सरकार में सिंधिया और साध्वी को छोड़ दिया जाए तो पार्टी के दूसरे नेता उनकी कृपा के मोहताज.. चाहे फिर वह महत्वाकांक्षी या फिर प्रतिस्पर्धी नेता ही क्यों न हो जो उन्हें पसंद करें या ना करें.. वह बात और है कि चौहान की कोशिश सब को भरोसे में लेकर चलने की जारी है.. चुनाव में हाईकमान की पसंद और बड़े मकसद से भाजपा में लाए गए ज्योतिरादित्य की बड़ी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता ..जो पहले ही शिवराज के नेतृत्व को स्वीकार कर चुके ..और अब कभी तीखे तेवर अख्तियार कर चुकी उमा भारती शराब नीति के मुद्दे पर शिवराज द्वारा रखे गए मान से गदगद जिन्होंने शिवराज को अजर अमर के साथ भविष्य के लिए उनकी हर सफलता सुनिश्चित का आशीर्वाद दे दिया है..
इसे संयोग कहें या फिर शिवराज की रणनीति का हिस्सा जो उन्होंने सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के 3 साल पूरे होने उनके पिता स्वर्गीय माधवराव के जन्मदिन पर ग्वालियर में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई.. फिर दूसरे दिन साध्वी उमा भारती के अभिनंदन समारोह में यह कहकर शिरकत की अभिनंदन तो बहाना है उन्हें उमा का आशीर्वाद लेना था.. दोनों कार्यक्रमों में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की मौजूदगी.. जिनके साथ सरकारी और व्यक्तिगत कार्यक्रमों में उपस्थिति उज्जैन से लेकर श्योपुर तक लगातार बढ़ती जा रही है.. इसे विशुद्ध राजनीति कहें या फिर मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी जो एक और भाजपा संगठन को भरोसे में लिए हुए हैं .. तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मूर्ति का अनावरण दिग्विजय सिंह अजय सिंह सुरेश पचौरी जैसे नेताओं की मौजूदगी में किया .. जब संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक हरियाणा में शुरू हो चुकी है तब मध्यप्रदेश में अमित शाह विंध्य के सतना दौरे के बाद एक बार फिर उस छिंदवाड़ा 25 मार्च को पहुंच रहे हैं.. तो लोकसभा में मध्य प्रदेश से इकलौती सीट और इसका प्रतिनिधित्व कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और चुनाव में भविष्य के मुख्यमंत्री का चेहरा कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ करते है..
यही नहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मध्य प्रदेश के भोपाल दौरे के दौरान प्रदेश भाजपा दफ्तर के नए भवन की नींव रख भूमि पूजन करने के लिए आगे पीछे भोपाल पहुंचेंगे.. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इससे पहले सिर्फ जेपी नड्डा से दिल्ली तो सरसंघचालक मोहन भागवत से भी नागपुर जाकर मुलाकात कर चुके है.. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी दिल्ली में उनकी वन टू वन बैठक हो चुकी.. पिछले दो माह में कड़ियों को जोड़ा जाए तो इन मेल मुलाकातों, बैठकों और दूसरे कार्यक्रमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.. क्योंकि केंद्र बिंदु शिवराज ही बने हुए है.. बिना कहे.. बिना बोले.. बिना किसी फैसले के ऐलान के बड़ा संदेश जा चुका है कि 2023 का चुनाव सर्वमान्य शिवराज के नेतृत्व में ही होगा.. साध्वी उमा भारती के आशीर्वाद के बाद अब इसमें कोई शक शुबा नहीं रह जाती..
यह कोई नई बात नहीं लेकिन संदेश लगातार स्पष्ट हो रहा जो शिवराज को तात्कालिक और दूरगामी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें उनकी अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही का एहसास कराता है.. जिसको लेकर शिवराज एक साथ कई मोर्चों पर सजग सतर्क और संभल कर आगे बढ़ रहे हैं.. विकास यात्रा का फीडबैक हो या सर्वे रिपोर्ट हकीकत मुख्यमंत्री जमीनी सच्चाई और चुनौतियों को चिन्हित कर समस्या के समाधान में जुट चुके हैं.. भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस और कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह पर पैनी नजर तो जयस, भीम आर्मी, पिछड़ा वर्ग और अब केजरीवाल कि मध्य प्रदेश में एंट्री को भी वह गंभीरता से ले रहे हैं.. विष्णु दत्त के साथ बूथ माइक्रोमैनेजमेंट के साथ जातीय समीकरण दुरुस्त करने की कवायद देखी जा सकती.. शायद शिवराज को इंतजार है मोदी नड्डा की नई टीम के साथ चुनाव वाले राज्यों की पटकथा जिसे केंद्र को आगे बढ़ाना है.. क्यों कि 2023 चौहान के लिए एक अवसर है 2018 विधानसभा चुनाव की गलती दुरुस्त कर मध्य प्रदेश की राजनीति में एक और नया इतिहास रच कर अपनी लोकप्रियता और चुनाव जिताने का माद्दा बरकरार रख दूसरों से खुद को बेहतर और अलग साबित करने का..
मध्य प्रदेश में चुनावी शंखनाद अमित शाह छिंदवाड़ा यानी कमलनाथ के गढ़ से 25 मार्च को करने जा रहे हैं.. उस वक्त तक संघ की प्रतिनिधि सभा से निर्णय सामने आ चुके होंगे.. यानी जेपी नड्डा की नई टीम और मोदी कैबिनेट के पुनर्गठन में चुनावी राज्यों की भागीदारी के संकेत मिलने लगेंगे.. यही नहीं भाजपा मध्यप्रदेश में अपने नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चौथी पारी के 3 साल पूरे होने का जश्न भी 23 मार्च को मना चुके होंगे.. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने अमित शाह के दौरे और मकसद दोनों का ऐलान कर कार्यकर्ताओं को चार्ज करने की कोशिश की है.. लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए हारी हुई सीटों पर फोकस बनाकर आगे बढ़ रहे अमित शाह के लिए यह मध्य प्रदेश की लोकसभा की इकलौती सीट जहां भाजपा के लिए बड़ी चुनौती कांग्रेस के गढ़ में भगवा फहराने की है.. कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचे थे.. जिस छिंदवाड़ा मॉडल का जिक्र कमलनाथ और उनके सहयोगी करते हैं ..उसी पर कहीं ना कहीं राष्ट्रीय नेतृत्व की नजर टिक चुकी है.. कमलनाथ के सांसद रहते हुए एक चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यहां सभा नहीं हुई थी.. तो पिछले लोकसभा चुनाव में शिवराज का हेलीकॉप्टर चुनाव प्रचार थमने से पहले यहां नहीं उतर पाया था.. कुछ माह पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजगढ़ के साथ छिंदवाड़ा दौरा कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा था.. उस वक्त बात आई गई हो गई.. देखना दिलचस्प होगा अमित शाह के साथ शिवराज और विष्णु के अलावा क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया भी छिंदवाड़ा की सभा के मंच पर नजर आएंगे.. अमित शाह कुछ दिन पहले ही सतना में आदिवासी समुदाय को संबोधित कर चुके हैं.. सवाल खड़ा होना लाजमी छिंदवाड़ा यदि अमित शाह के टारगेट पर आ चुका है.. तो इसे सिर्फ लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जाए या फिर यह भाजपा की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके जरिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जिन्हें सीएम इन वेटिंग को लेकर पार्टी गफलत में है …
भाजपा यहां फिर मुद्दों को हवा देगी.. क्या भाजपा कमलनाथ को पुत्र मोह में उलझाना चाहती है.. यदि विधानसभा में भाजपा ज्यादा सीटें छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से जीत जाती तो क्या नकुल की राह कठिन कर दी जाएगी.. या फिर रणनीति कमलनाथ को उनके छिंदवाड़ा में उलझाए रख दूसरी सीटों खासतौर से जहां भाजपा हार गई वहां नए प्रयोग की है.. सवाल लोकसभा को ध्यान में रखते हुए अमित शाह की यह रणनीति क्या मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रदेश के नेतृत्व को हारी हुई सीट पर आगे रखकर सामने बढ़ाई जाएगी.. क्या इस मंच के जरिए अमित शाह भाजपा नेताओं कार्यकर्ताओं के लिए भी कोई बड़ा और स्पष्ट संदेश देकर जाएंगे.. यह सवाल इसलिए क्योंकि अमित शाह के दौरे के ठीक पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भोपाल पहुंचेंगे और पार्टी के प्रस्तावित नए कार्यालय का भूमि पूजन करेंगे.. जेपी नड्डा क्या पदाधिकारियों और मंत्रियों के बीच कोई नया संदेश लेकर जाएंगे तो वह क्या हो सकता.. क्या इसे मंत्रिमंडल पुनर्गठन और विष्णु दत्त की टीम में जरूरी बदलाव के लिए हरी झंडी से जोड़कर देखा जा सकता है…
मध्य प्रदेश की राजनीति में शिवराज का सियासी रंग सब पर भारी नजर आ रहा.. मौका होली और रंग पंचमी का तो शिवराज और दूसरे हुरियारों पर रंग लाल पीला नीला गुलाबी कौन सा चढ़ा देखा और समझा जा सकता है.. लेकिन यदि चुनावी रंग में सरकार के विकास और संगठन की मजबूती से आगे.. बनते बिगड़ते समीकरणों के बीच रंग रिश्तो की प्रगाढ़ता. अपनापन. प्यार दुलार का ..तो फिर माहौल का अंदाजा लगाया जा सकता.. यह सब कुछ चुनावी राजनीति के लिए आखिर कितना जरूरी और निर्णायक ..खासतौर से जब मंच पर सरकार और उसके संगठन के मुखिया के साथ भगवा धारी साध्वी उमाश्री मौजूद तो फिर सियासी संदेश को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.. राजधानी भोपाल के नवनिर्मित रविंद्र भवन के मंच पर सामाजिक सरोकार से जुड़ी शराब नीति के मुद्दे पर उमाश्री द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज का अभिनंदन गौर करने लायक था.. दोनों राजनीतिक हस्तियों द्वारा कई राज खोले गए तो बनते बिगड़ते समीकरणों को पीछे छोड़ते हुए उमा शिवराज द्वारा कई नए रंग का एहसास कराया गया.. रंग सीधे सियासत का न सही लेकिन इसमें छुपे संदेश से इनकार भी नहीं किया जा सकता.. क्योंकि संघर्ष. स्वभाव. समझदारी. समन्वय .सकारात्मक सोच. सार्थक प्रयास के साथ यादें ताजा कर पुराने पन्ने खोले गए.. साध्वी और शिवराज दोनों ने अपनी याददाश्त का लोहा मनवाया..
जोड़ी ऐसी कि नजर चाहे कर भी ना हटे.. बतौर वक्ता कौन बेहतर.. कौन जनता और कार्यकर्ता की नब्ज पर बेहतर हाथ रखता इस विशेष मौके पर किसी एक को सर्वश्रेष्ठ बताना आसान नहीं था.. उमा पहले बोली तो एजेंडा सेट किया और मंच पर मौजूद शिवराज ने अपने उद्बोधन में हर उस लाइन को आगे बढ़ाया जिस पर फोकस साध्वी ने बनाया था.. एक दूसरे की दिल खोलकर तारीफ की गई.. जोड़ी ऐसी जो यदि चुनाव मैदान में कदमताल करें तो मिशन 23 के लिए भाजपा की जीत की गारंटी.. जोड़ी का अपना-अपना लहजा लेकिन जो अपने साथ दूसरों को भी जवाबदेही का एहसास कराएं.. जोड़ी का जुनून जज्बा ही नहीं जज्बात लोगों को सोचने को मजबूर कर दें.. जोड़ी चुनाव के डिसाइडिंग फैक्टर ओबीसी का लेकिन सियासत के मैदान में सबसे दमदार और लोकप्रिय चेहरा.. उमा मुख्यमंत्री तो वर्तमान में लंबी पारी खेल रहे शिवराज को उनका आशीर्वाद मिला.. नई शराब नीति को मध्य प्रदेश में लागू करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और इसका खाका खींचने वाली पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती दोनों रंग पंचमी के ठीक पहले एक मंच पर अलग रंग में रंगे नजर आए.. रंग रिश्तो में प्रगाढ़ता का राजनीति से परे रंग व्यक्तिगत संबंधों में अपनापन और आत्मीयता का.. रंग मान सम्मान का… रंग सुकून का.. रंग सामाजिक सरोकार से सियासत की जुगलबंदी का..
दोनों ने पुरानी अनबन को पीछे छोड़ते हुए एक नई लाइन खींची और भविष्य में कदमताल करने के संकेत दिए.. इसका साक्षी कोई और नहीं दोनों के साथ मंच साझा करने वाले प्रदेश भाजपा के मुखिया विष्णु दत्त शर्मा बने.. यानी सरकार चलाने वाले शिवराज सरकार को मजबूती देने वाले विष्णु दत्त और अपनी सरकार से अपेक्षाएं रखने वाली साध्वी जब यह कहे ऑल इज फिर तो इस पटकथा को समझा जा सकता है.. शिवराज वे साबित किया उनका कोई जवाब नहीं.. तो भी बदलते सियासी रंग पर गौर करना जरूरी हो जाता है..मंच पर सियासी प्रतिस्पर्धा दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही थी ..न ही एक दूसरे से शिकवा शिकायत.. बेटी बहन महिला के उत्थान का दर्द दोनों की चिंता बनकर सामने आया.. संकट भरोसे का मानो खत्म हो चुका था.. बस यदि कोई स्पष्ट संदेश था तो रिश्तो में पारदर्शिता.. मजबूती का.. असमंजस से दूर अप्रत्याशित.. अकल्पनीय.. उमा जी ने शिवराज को आशीर्वाद देने में कोई कंजूसी नहीं बरती.. इसकी कल्पना तो शायद मुख्यमंत्री ने भी नहीं की होगी.. उमा ने कभी भावुक होकर कभी उनकी योग्यता उपयोगिता को सामने रखकर कभी उनके व्यक्तित्व कार्यशैली और कभी मान सम्मान का सही हकदार बता कर उन्हें दिल खोल कर भविष्य में हर सफलता के लिए आशीर्वाद दिया.. इसके लिए उमा ने राम सीता हनुमान के विशेष प्रसंग को भी सामने रखा..अभिनंदन से अभिभूत शिवराज ने भी साध्वी के सम्मान में जो कहा वह यह बताने के लिए काफी कि मुख्यमंत्री का दिल कितना बड़ा है.. शिवराज ने 2003 में भाजपा की जीत का श्रेय उमा भारती को चुनाव का प्रमुख रणनीतिकार नेतृत्व कर्ता और प्रमुख योद्धा बता कर दिया.. शिवराज ने उमा से अपने रिश्ते को यह कहकर रेखांकित किया कि वो उनमें प्यार दुलार देने वाली मां के साथ दीदी, छोटी बहन, एक बेटी और मित्र भी देखता हूं.. उमा ने हमेशा अन्याय के खिलाफ आगे बढ़कर लड़ाई लड़ी.. गंगा अभियान हो या फिर अयोध्या आंदोलन की उनकी वैचारिक लड़ाई को सबने देखा है.. साध्वी ने खुद को शराब नीति और उसको अमलीजामा पहनाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज तक सीमित कर रखा था और शायद इसलिए लगे हाथ भविष्य की सियासी चुनौतियों को ध्यान में रख उन्होंने विजयी भवा का आशीर्वाद भी दे दिया..शिवराज ने शराब नीति में बड़े बदलाव का श्रेय बिना लाग लपेट के उमा भारती को दिया.. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि साध्वी की सोच से प्रेरणा लेकर ही यह फैसला लिया गया..
उमा भारती ने राम सीता और हनुमान के प्रसंग को सामने रखकर शिवराज की तारीफ और आशीर्वाद में बहुत कुछ कहा ..तो यह भी कह दिया की वह शिवराज का ऋण कभी नहीं उतार पाएंगीं..साध्वी उमा भारती द्वारा दिया गया सम्मान रह-रहकर शायद शिवराज को बहुत कुछ सोचने और कहने को मजबूर कर रहा था…. उन्होंने कहा कोई तो बात है उमाश्री भारती में जो दुनिया में भेजा गया.. क्योंकि व्यासपीठ पर बैठते ही साध्वी न सिर्फ बदल जाती .. बल्कि उनके चेहरे का तेज और वाणी में ओज उन्हें दूसरों से अलग प्रस्तुत करता है.. उमा ने बताया कि आखिर वो शिवराज की मुरीद क्यों है.. उमा भारती ने लंबे राजनीतिक जीवन का लेखा-जोखा याद दिलाया तो शिवराज के नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए खुद मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद शिवरात्रि के मौके पर विशेष स्थान के दौरान प्रदेश के लिए कहां किससे क्या मांगा यह राज भी सार्वजनिक कर दिया..शिवराज ने भी अपनी सरकार की योजनाओं के लिए जरूरी फंड व्यवस्था का फंडा सामने रख दिया.. जिससे उन्हें अर्थ संकट के चलते जनहित से जुड़ी किसी योजना के लिए समझौता नहीं करना पड़ा..उमा भारती ने शिवराज सरकार की जैविक खेती की तारीफ कर बताया कि गाय कैसे बचेगी आखिर वह फार्मूला क्या होगा..जवाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार की सोच के साथ चिंतन मंथन की आवश्यकता को रेखांकित किया.. आखिर गाय के मुद्दे पर शिवराज सरकार क्यों गंभीर और उमा की सोच से वह कितना इत्तेफाक रखती.. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया लक्ष्य दोनों के एक है तो क्यों..शराब नीति के मुद्दे पर उमा ने मुख्यमंत्री शिवराज की दूरदर्शिता और सख्त फैसलों को फिर यह कह कर सामने रखा कि एक झटके में दो हजार से ज्यादा शराब पीने वाले अहाते बंद कर दिए गए…मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साध्वी की लाइन पर सहमति दर्ज कराते हुए उसे आगे कैसे बढ़ाया और तर्क को खारिज करना उनके लिए कितना कठिन था.. इससे पहले उमा भारती ने बताया कि महिला खासतौर से किसी शराब पीने वाले के लिए घर की मां बेटी को नजरअंदाज करना कितना कठिन साबित होगा.. शिवराज ने भी नैतिक जिम्मेदारी का हवाला देकर संकल्प और उसके मकसद को दोहराया उमा ने जनप्रतिनिधि प्रशासन पुलिस की भूमिका को सख्त लहजे और बढ़ती अपेक्षाओं के साथ सामने रखा.. तो शिवराज ने भी पुलिस प्रशासन को सजग और सतर्क रहने के साथ मानव फ्री हैंड दे दिया..