Thursday

31-07-2025 Vol 19

झारखंड ने रेवड़ी के लिए रास्ता दिखाया

473 Views

झारखंड में दोबारा बनी हेमंत सोरेन की सरकार ने ‘मुफ्त की रेवड़ी’ के लिए धन के इंतजाम का नया रास्ता दिखाया है। देश के लगभग सारे राज्य, जिन्होंने महिलाओं, युवाओं, किसानों को नकदी बांटनी शुरू की है, वे सब रास्ते की तलाश में थे। कह सकते हैं कि हेमंत सोरेन ने सबको रास्ता दिखाया है। वह रास्ता ये है कि सबको दूसरी योजनाएं स्थगित करके मंत्रालयों से उनका पैसा सरेंडर कराना चाहिए और उससे नकदी बांटनी चाहिए। आखिर नकदी बांटना ही जीवन का सत्य है बाकी मोहमाया है। उनको पता चल गया है कि महिलाओं को नकद रुपए देंगे और दो सौ यूनिट बिजली फ्री कर देंगे तो लोग बाकी चीजों के बारे में कुछ नहीं पूछेंगे। इसलिए उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सहित अनेक मंत्रालयों को आवंटित पैसा सरेंडर करा दिया और ‘मइया सम्मान योजना’ के लिए पैसे का इंतजाम कर लिया।

मइया सम्मान योजना: राशि बढ़ाने के लिए सरकार का धन जुगाड़

असल में हेमंत सोरेन की सरकार ने ‘मइया सम्मान योजना’ के तहत 11 सौ रुपया महीना देना शुरू किया था लेकिन चुनाव से पहले भाजपा ने ऐलान कर दिया कि उसकी सरकार बनी तो वह महिलाओं को 21 सौ रुपए महीना देगी। इससे घबरा कर हेमंत सोरेन ने ऐलान कर दिया कि दोबारा सरकार बनी तो ‘मइया सम्मान योजना’ की राशि बढ़ा कर ढाई हजार कर देंगे। हेमंत सोरेन जब दूसरी बार ज्यादा बड़े बहुमत से चुनाव जीत गए तो उन्होंने दिसंबर महीने से ही ढाई हजार रुपए देने की घोषणा कर दी। लेकिन समस्या यह थी कि पैसा कहां से आएगा। मार्च तक तक इस योजना के लिए अतिरिक्त 73 सौ करोड़ रुपए की जरुरत थी।

सरकार 13 सौ करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट भी पेश कर रही है। लेकिन उससे पहले ‘मइया सम्मान योजना’ के लिए धन के जुगाड़ का रास्ता यह निकला कि सरकार ने कई विभागों की समीक्षा की और उनका पैसा सरेंडर कराया।

कहा जा रहा है कि इस साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव की वजह से करीब चार महीने आचार संहिता लगी रही तो विभागों के पास पैसा बचा हुआ था। उस पैसे को सरेंडर कराया गया है। लेकिन यह आधा सच है क्योंकि हर विभाग को पता होता है कि आचार संहिता लगनी है इसलिए वह सारा पैसा पहले ही खर्च कर देते हैं या किसी न किसी परियोजना के लिए आवंटित कर देते हैं।

Also Read: गतिरोध का हल नहीं?

सो, हकीकत यह है कि राज्य सरकार ने आवंटित पैसे को सरेंडर कराया है और उसे नकद बांटने के काम में इस्तेमाल करेगी। राज्य सरकार ने पेयजल स्वच्छता विभाग से 14 सौ करोड़ रुपए सरेंडर कराए हैं। इसके अलावा ग्रामीण विकास से नौ सौ और खाद्य आपूर्ति से छह सौ करोड़ रुपए सरेंडर कराए गए हैं। ऊर्जा मंत्रालय की कई योजनाओं की राशि सरेंडर कराई गई है। यहां तक कि शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय का पैसा भी सरेंडर कराया गया है।

सोचें, शिक्षा और स्वास्थ्य की क्या हालत झारखंड में है लेकिन वहां का पैसा लेकर सरकार ‘मइया सम्मान योजना’ में बाटेंगे। इससे जाहिर है कि सरकार को बुनियादी ढांचे के विकास या शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरुरतों में सुधार की चिंता नहीं है। उसको लग रहा है कि पैसे नकद बांटना सबसे जरूरी है। वैसे भी राज्य सरकार बजट का 90 फीसदी हिस्सा वेतन, पेंशन और कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च करती है। सो, बचा हुआ पैसा लोगों में नकद बांट देना चाहिए और बाकी विकास का काम अगर कर्ज मिला या केंद्र ने पैसे दिए तो होगा अन्यथा नहीं होगा।

NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *