• आया मतदान का मौका

    विपक्षी खेमों में समझ बनी है कि मोदी सरकार ने देश की दिशा को बुनियादी तौर पर बदल देने की कोशिश की है। ऐसे में फिर से उसे जनादेश मिला, तो उसका मतलब मोदी के कार्यकाल में तय की गई दिशा पर जनता की मुहर होगी। लोकसभा की 102 सीटों पर आज मतदान होगा। इसके साथ ही उस मैराथन प्रक्रिया का निर्णायक दौर शुरू हो गया है, जिसके नतीजे से, जैसाकि अनेक हलकों में राय है, इस देश का भविष्य तय होगा। वैसे तो लोकसभा का यह 18वां आम चुनाव है, लेकिन इसके बीच ऐसे मौके बहुत कम आए हैं,...

  • दुनिया के लिए चेतावनी

    आईएमएफ के आकलन को बाइडेन प्रशासन की राजकोषीय नीति की कड़ी आलोचना के रूप में देखा गया है। इस संस्था ने चेताया है कि अमेरिका सरकार पर बढ़ रहे कर्ज के कारण देश में मुद्रास्फीति आसमान छू सकती है, जिसका विश्व अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी है कि अमेरिका में बढ़ते सरकारी कर्ज का विश्व अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरा प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है। आईएमएफ के इस आकलन को राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन की राजकोषीय नीति की कड़ी आलोचना के रूप में देखा गया है। वॉशिंगटन स्थित इस संस्था ने चेताया है कि अमेरिका...

  • कुछ सबक लीजिए

    जब आर्थिक अवसर सबके लिए घटते हैं, तो हाशिये पर के समुदाय उससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसलिए कि सीमित अवसर वे लोग ही प्राप्त कर सकते हैं, जिन्हें बेहतर शिक्षा मिली होती है और जिनके पास तकनीकी कौशल होता है। शोरगुल पर यकीन करें, तो यह दलित-बहुजनवादी राजनीति का वर्चस्व काल है। बिना किसी अपवाद के, सभी राजनीतिक दल इस सियासत का झंडाबरदार बनने की होड़ में आज शामिल हैँ। यह दौर कम-से-कम दो दशक से परवान चढ़ा हुआ है। इसलिए यह सवाल पूछने का अब वाजिब वक्त है कि इससे असल में दलित-पिछड़ी जातियों को क्या हासिल हुआ...

  • चाहिए विश्वसनीय समाधान

    चुनावों में विश्वसनीयता का मुद्दा सर्वोपरि है। इसे सुनिश्चित करने के लिए तमाम व्यावहारिक दिक्कतें स्वीकार की जा सकती हैं। इसलिए यह तर्क बेमायने है कि अगर सभी वीवीपैट पर्चियों या मतपत्रों की गिनती हुई, तो उसमें 12 दिन लगेंगे। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने याद दिलाया कि जब मतपत्रों के जरिए मतदान होता था, तब क्या होता था। स्पष्टतः जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ का इशारा उस दौर में होने वाली मतदान संबंधी धांधलियों की तरफ था। कहा जा सकता है कि उस...

  • सरकारें जो चाहती हैं

    यह कहा जाएगा कि अपनी किताब के जरिए डी. सुब्बाराव ने एक बहुत जरूरी विषय पर चर्चा छेड़ी है। किताब के लोकार्पण के मौके पर उन्होंने जो कहा, उस पर भी भारतवासियों को अवश्य ध्यान देना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने अपनी ताजा किताब में यह राज़ खोला है कि उनके कार्यकाल में तत्कालीन वित्त मंत्रियों प्रणब मुखर्जी और पी चिदंबरम ने उन पर अर्थव्यवस्था की हरी-भरी तस्वीर पेश करने के लिए दबाव बनाया था। किताब ‘जस्ट ए मर्सिनरी?: नोट्स फ्रॉम माई लाइफ एंड करियर’ में उन्होंने लिखा है कि इस कारण वे कई बार परेशान...

  • समस्या से आंख मूंदना

    बेरोजगारी के मुद्दे को चुनाव में नजरअंदाज करना बहुत बड़ा जोखिम उठाना है। यह बात अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए कि देश चाहे जितनी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाए, लेकिन अगर करोड़ों युवा बेरोजगार बने रहते हैं, तो उससे भारत का कोई भला नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समाचार एजेंसी को एक घंटा 17 मिनट का लंबा वीडियो इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने विभिन्न विषयों की चर्चा की। अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और अगले एजेंडे पर चर्चा की। फिर भी इस इंटरव्यू में कई जरूरी मसले नहीं आए। बेरोजगारी जैसी विकराल होती जा रही समस्या की भी इसमें अनदेखी...

  • फटी शर्ट, ऊंची नाक

    देश की जिन ज्वलंत समस्याओं को लगभग भाजपा के घोषणापत्र में नजरअंदाज कर दिया गया है, उनमें बेरोजगारी, महंगाई, उपभोग का गिरता स्तर और सुरसा की तरह बढ़ती आर्थिक गैर-बराबरी शामिल हैं। भारतीय जनता पार्टी के समर्थक विश्लेषकों की नजर देखें, तो पार्टी ने अपने चुनाव घोषणापत्र में “रेवड़ियों” का वादा नहीं किया है। इसके विपरीत उसने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के अनुरूप वादे किए हैं। उसने अधिक संख्या में बुलेट ट्रेन, वंदे भारत ट्रेनों, आईआईटी- आईआईएम आदि की स्थापना, कॉमर्शियल विमानों के उत्पादन का इको-सिस्टम भारत ले आने आदि जैसे उद्देश्य घोषित किए हैँ।...

  • भारत का डेटा संदिग्ध?

    एक ब्रिटिश मेडिकल जर्नल, जिसके विचार-विमर्श का दायरा राजनीतिक नहीं है, वह भारत के आम चुनाव के मौके पर संपादकीय लिख कर सतर्क करने की जरूरत महसूस करे, तो यह खुद जाहिर है कि संबंधित समस्या उसकी नजर में कितना गंभीर रूप ले चुकी है। मशहूर ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द लांसेट ने आम चुनाव के मौके पर भारतवासियों को देश में स्वास्थ्य संबंधी डेटा की बढ़ती किल्लत और मौजूद डेटा पर गहराते संदेह को लेकर आगाह किया है। एक ब्रिटिश मेडिकल जर्नल, जिसके विचार-विमर्श का दायरा राजनीतिक नहीं है, वह किसी देश के आम चुनाव के मौके पर संपादकीय लिख...

  • युद्ध की फैली आग

    स्पष्टतः पश्चिम एशिया बिगड़ती हालत संयुक्त राष्ट्र के तहत बनी विश्व व्यवस्था के निष्प्रभावी होने का सबूत है। जब बातचीत से विवाद हल करने के मंच बेअसर हो जाते हैं, तभी बात युद्ध तक पहुंचती है। आज यह खतरनाक स्थिति हमारे सामने है। इजराइल पर ईरान के जवाबी हमले के साथ पश्चिम एशिया में युद्ध की आग और फैल गई है। यह पहला मौका है, जब ईरान फिलस्तीनी युद्ध में सीधे शामिल हुआ है। इस घटनाक्रम की पृष्ठभूमि एक अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास पर इजराइल के हमले से बनी। उस इजराइली हमले में 16 ईरानी...

  • एडवाइजरी किसके लिए?

    भारत सरकार गरीबी से बेहाल भारतीय मजदूरों को इजराइल भेजने में तब सहायक बनी। इसलिए अब सवाल उठा है कि ताजा एडवाइजरी किसके लिए जारी की गई है? क्या अब पैदा हुए नए खतरों के कारण भारत अपने मजदूरों को वहां से वापस लाएगा? इजराइल और ईरान के बीच युद्ध की गहराती आशंका के बीच यह उचित ही है कि भारत सरकार ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की। भारतीय नागरिकों से उन दोनों देशों में जाने से बचने की सलाह दी गई है। ऐसी एडवाइजरी अनेक देशों ने अपने देशवासियों के लिए जारी की है। बिगड़ते हालात के...

  • चीन पर बदला रुख?

    अमेरिकी पत्रिका को दिए इंटरव्यू में मोदी ने कहा- ‘यह मेरा विश्वास है कि सीमा पर लंबे समय से जारी स्थिति का हल हमें तुरंत निकालना चाहिए, ताकि अपने द्विपक्षीय संबंधों में आई असामान्यता को हम पीछे छोड़ सकें।’ क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ताजा बयान को चीन के बारे में भारत के रुख में एक बड़े बदलाव का संकेत माना जाना चाहिए? चार साल से चल रहे तनाव के बाद अब मोदी मेल-मिलाप के मूड में दिख रहे हैं। मोदी ने ये टिप्पणियां एक अमेरिकी पत्रिका को दिए इंटरव्यू में की हैं। इससे उनकी बातों का महत्त्व और बढ़...

  • चीन- रूस की धुरी

    रूस के चीन के करीब जाने से यूरेशिया का शक्ति संतुलन बदल रहा है। इससे नए समीकरण बनने की संभावना है। इसका प्रभाव पूरे क्षेत्र पर हो सकता है। दुनिया भर में विदेश नीति के कर्ता-धर्ताओं को इस स्थिति को अब अवश्य ध्यान में रखना होगा। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की इस हफ्ते हुई चीन यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों में नया आयाम जुड़ने का ठोस संकेत दिया है। अब तक दोनों देशों की “असीम भागीदारी” में कम-से-कम घोषित तौर पर सुरक्षा का पहलू शामिल नहीं था। लेकिन लावरोव और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अपनी...

  • निर्वाचन आयोग पर सवाल

    विपक्षी दायरे में आयोग की निष्पक्षता पर संदेह गहराता जा रहा है। आम चुनाव के दौर समय ऐसी धारणाएं लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। ऐसे में यह जिम्मेदारी आयोग पर है कि वह विपक्षी आरोपों या धारणाओं को बेबुनियाद साबित करे। राष्ट्रीय राजधानी में तृणमूल कांग्रेस पार्टी के सांसदों और कार्यकर्ताओं ने निर्वाचन आयोग के दफ्तर पर धरना दिया। वहां उन्हें हिरासत में लिए जाने के बाद एक सांसद ने आरोप लगाया कि आयोग निष्पक्ष ढंग से काम नहीं कर रहा है। वह आम चुनाव में सभी दलों को समान धरातल मुहैया कराने का फर्ज नहीं निभा रहा...

  • विषमता की ऐसी खाई

    भारत में घरेलू कर्ज जीडीपी के 40 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गया है। यह नया रिकॉर्ड है। साथ ही यह अनुमान लगाया गया है कि आम घरों की बचत का स्तर जीडीपी के पांच प्रतिशत से भी नीचे चला गया है। भारत के शेयर बाजार का मूल्य सोमवार को चार लाख करोड़ रुपए को पार कर गया। यह नया रिकॉर्ड है। मंगलवार सुबह अखबारों में यह खबर प्रमुखता से छपी। और उसी रोज यह खबर भी आई कि भारत में घरेलू कर्ज जीडीपी के 40 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गया है। यह भी नया रिकॉर्ड है। साथ ही...

  • इजराइल ने क्या पाया?

    हफ्ते भर पहले इजराइल ने सीरिया स्थित ईरानी दूतावास पर हमला कर उसके कई प्रमुख जनरलों को मार डाला। समझा जाता है कि यही घटना टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। विस्फोटक स्थिति के बीच आखिरकार अमेरिका को भी इजराइल पर दबाव बनाना पड़ा। इजराइल ने दक्षिण गजा से अपनी फौज लौटा ली है। साथ ही वह काहिरा में फिलस्तीनी संगठन हमास के साथ युद्धविराम की वार्ता में शामिल होने के लिए भी राजी हुआ है। ये घटनाक्रम हमास के हमले के बाद से इजराइल के जवाबी हमलों के ठीक छह महीना पूरा होने पर सामने आया। इस पूरे दौरान इजराइल हमास...

  • इस उदारता का राज़?

    देश में प्याज की कीमत नियंत्रित रखने के लिए सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा रखी है। लेकिन इसी बीच खबर है कि यूएई के लिए निर्यात की इजाजत दे दी गई है, जिससे वहां के व्यापारी भारी मुनाफा कमा रहे हैँ।  इस खबर ने किसानों सहित अनेक लोगों को चौंकाया है कि प्याज के निर्यात पर जारी प्रतिबंध के बीच केंद्र सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रति रहस्यमय उदारता दिखाई है। सरकार ने यूएई के अनुरोध को अपवाद की श्रेणी में रखते हुए उसके लिए 24,400 मिट्रिक टन प्याज के निर्यात की इजाजत दी है। आश्चर्य...

  • कांग्रेस का ‘न्याय’ पत्र

    प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और रोजगार संबंधी कई बड़े वादे कांग्रेस ने किए हैं। मगर ये वादे तब अधिक विश्वसनीय बनते, अगर इनके साथ ही इन पर आने वाले खर्च और उसके लिए संसाधन जुटाने की योजना का विवरण भी पेश किया जाता। कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र को- जिसे उसने न्याय पत्र नाम दिया है- देश के लिबरल खेमे से खूब तारीफ मिली है। सामान्यतः मध्य वर्ग से आना वाला यह तबका नरेंद्र मोदी के शासनकाल में नागरिक स्वतंत्रताओं, अभिव्यक्ति की आजादी, और प्रगतिशील समझे जाने वाले एजेंडे पर हुए प्रहार से विचलित है। कांग्रेस ने इन मुद्दों पर मोदी काल...

  • अति-उत्साह में फजीहत

    आईएमएफ में भारत के प्रतिनिधि ने अपनी राय जताई। उनकी राय को आईएमएफ की भविष्यवाणी बता कर पेश करने का अति-उत्साह भारत में इतना अधिक दिखाया गया कि अंततः आईएमएफ को सार्वजनिक तौर पर स्पष्टीकरण देना पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को सफाई देने पड़ी है। कहा है कि उसकी तरफ से भारत के आठ प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर हासिल करने संबंधी कोई अनुमान नहीं लगाया गया है। कहानी यह है कि आईएमएफ में भारत के प्रतिनिधि कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यम ने कहीं यह कहा कि भारत की जीडीपी आठ प्रतिशत की ऊंची दर से बढ़ने का अनुमान है। भारत...

  • इंसान की बढ़ी उम्र

    यह अवश्य अच्छी खबर है कि भारत में 1990-2021 की अवधि में जीवन प्रत्याशा में 7.9 वर्ष की वृद्धि हुई, जो विश्व औसत से अधिक है। लेकिन दक्षिण एशिया में भूटान, बांग्लादेश और नेपाल में लोगों की औसत उम्र भारत की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ी है। जीवन प्रत्याशा विकास मापने का सर्व-स्वीकृत पैमाना है। जन्म के समय एक शिशु के औसतन कितने वर्ष जीने की उम्मीद रहती है, यह इससे तय होता है कि संबंधित समाज में रोग की रोकथाम और इलाज के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा की कैसी व्यवस्थाएं हैं। बीसवीं सदी को मानव इतिहास में इसीलिए एक महत्त्वपूर्ण...

  • वीवीपैट की गिनती जरूरी

    यह अनिवार्य है कि निर्वाचन प्रक्रिया के किसी भी स्तर पर उठने वाले संदेहों का पूरा निवारण किया जाए। लोकतंत्र में यह विश्वास सबसे महत्त्वपूर्ण होता है कि चुनाव के जरिए वास्तविक जनमत की अभिव्यक्ति हुई है। तभी जनादेश सर्व-स्वीकृत बना रहता है। सुप्रीम कोर्ट ने आश्वासन दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में दर्ज होने वाले वोट और उससे संबंधित वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की अर्जियों पर वह समय रहते अपना निर्णय देगा। लेकिन फिलहाल संकेत यह मिला है कि अदालत ने इस मसले को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं दी है। वरना, सुनवाई दो हफ्तों के लिए नहीं...

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