प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की बेहद सफल और उपलब्धियों भरी यात्रा से वापस लौट आए हैं। इस यात्रा की उपलब्धियों का दायरा इतना विस्तृत है कि उसे किसी एक पहलू से देखना असंभव है। कूटनीतिक रूप से अगर यह यात्रा बहुत सफल रही तो व्यापार की दृष्टि से भी उतनी ही सफल रही है और सामरिक दृष्टि से भी उतनी ही महत्वपूर्ण रही। आधुनिक प्रौद्योगिकी विशेष कर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआई और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत को दुनिया के बाकी देशों से आगे ले जाने में इस यात्रा के दौरान बनी सहमति मील का पत्थर साबित होगी। एक तरफ मेक अमेरिका ग्रेट अगेन यानी मागा का राष्ट्रपति ट्रंप का संकल्प है तो दूसरी ओर मेक इंडिया ग्रेट अगेन यानी मीगा का प्रधानमंत्री श्री मोदी का संकल्प है। तभी प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मागा और मीगा मिल कर मेगा यानी अत्यंत विशाल बनेंगे’। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच दोपक्षीय वार्ता के बाद जो साझा बयान जारी हुआ है उसमें छह क्षेत्रों का मुख्य रूप से जिक्र किया गया है, जिनमें साझेदारी बढ़ाने पर सहमति बनी है। ये छह क्षेत्र हैं- रक्षा, व्यापार व निवेश, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी व नवाचार, बहुपक्षीय साझेदारी और पीपुल टू पीपुल कॉन्टैक्ट यानी भारतीय व अमेरिकी नागरिकों के बीच संपर्क।
इन छह क्षेत्रों में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग बढ़ाने और आगे बढ़ने की जो सहमति बनी है उन पर चर्चा से पहले प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की वॉशिंगटन यात्रा से जो कूटनीतिक संदेश निकला है या जो धारणा बनी है उसकी चर्चा अनिवार्य है। यह ध्यान रखने की जरुरत है कि प्रधानमंत्री फ्रांस की राजधानी पेरिस में एआई पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की सह अध्यक्षता करके अमेरिका पहुंचे थे। यूरोप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के बाद प्रधानमंत्री जब अमेरिका पहुंचे तो उनका अभूतपूर्व स्वागत हुआ। ऐसा प्रतीत हुआ, जैसे संपूर्ण ट्रंप प्रशासन प्रधानमंत्री का स्वागत करने की प्रतीक्षा कर रहा था। राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी मुलाकात और दोपक्षीय वार्ता होती उससे पहले ट्रंप प्रशासन के लगभग सभी महत्वपूर्ण नेताओं, कारोबारियों और अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री की मुलाकात हुई। ये सभी वो लोग हैं, जो भारत के प्रति और विशेष कर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रति सद्भाव व सम्मान का भाव रखते हैं।
वॉशिंगटन डीसी पहुंचने पर उनकी सबसे पहली मुलाकात अमेरिका की डायरेक्टर नेशनल इंटेलीजेंस तुलसी गबार्ड से हुई। वे सीआईए, एफबीआई और एनएसए सहित अमेरिका की 18 खुफिया एजेंसियों की प्रमुख हैं। वे अमेरिकन समोअन मूल की हैं, लेकिन उनकी मां ने हिंदू धर्म स्वीकार किया था और उसके बाद पूरा परिवार हिंदू धर्म को मानता है। जब वे अमेरिकी कांग्रेस के लिए चुनी गई थीं तो उन्होंने भगवद्गीता पर हाथ रख कर शपथ ली थी और बाद में अपनी वह गीता प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भेंट की थी। पिछले 10 वर्षों से ज्यादा समय में दोनों के बीच बहुत सद्भाव वाले संबंध रहे हैं। सोचा जा सकता है कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियों के प्रमुख के साथ ऐसे नजदीकी संबंध का भारत को कितना बड़ा लाभ मिल सकता है! खासकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में। इसके बाद प्रधानमंत्री की मुलाकात टेस्ला के मालिक इलॉन मस्क से हुई, जो स्टारलिंक और टेस्ला की भारत में एंट्री चाहते हैं। उनके आने से इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बाजार में गुणात्मक सुधार होगा तो इंटरनेट की उपलब्धता व गति में भी सुधार होगा। उनका पूरा परिवार प्रधानमंत्री से मिला। बाद में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज और भारतीय मूल के कारोबारी विवेक रामास्वामी भी प्रधानमंत्री से मिले। ये सारी मुलाकातें राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने की तैयारियों की तरह थीं।
फिर जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति ट्रंप से मिले और दोनों के बीच जो केमिस्ट्री दिखी वह किसी भी देश के दो शासन प्रमुखों के बीच शायद ही देखने को मिलती है। कांग्रेस के नेता श्री राजीव गांधी की अमेरिका यात्रा की वीडियो शेयर करते हैं, जिसमें राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन छाता लेकर श्री राजीव गांधी को गाड़ी तक छोड़ने जा रहे हैं। लेकिन अब पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे प्रधानमंत्री उठे तो ट्रंप ने उनके लिए कुर्सी खींची, कैसे उनको गले लगाते हुए कहा कि हम आपकी दोस्ती को याद करते रहते हैं, कैसे प्रधानमंत्री के लिए लाए गए उपहार पर लिखा कि यू आर ए ग्रेट लीडर और कैसे साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के समय दुनिया के सामने स्वीकार किया कि अपने देश के हितों के लिए प्रधानमंत्री मोदी उनसे बेहतर निगोशिएटर यानी वार्ताकार हैं। यह मामूली बात इसलिए नहीं है क्योंकि दूसरी बार सत्ता में आने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने जितना सख्त रवैया अख्तियार किया है उसमें वे किसी से समझौता करने के मूड में नहीं हैं। फिर भी उन्होंने भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाने से परहेज किया। इतना ही नहीं साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी अवैध प्रवासियों को लेकर भारत के प्रति कोई सख्त बात नहीं कही उलटे छात्रों और पेशेवरों के लिए पहले की तरह वीजा की सुविधा जारी रखने की घोषणा की।
साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति ट्रंप ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बांग्लादेश में हुए तख्तापलट से अमेरिका के डीप स्टेट का कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने दो टूक अंदाज में कहा कि बांग्लादेश को उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी के लिए छोड़ रखा है। इसका अर्थ है कि बांग्लादेश में विश्व बिरादरी खास कर अमेरिका और उसके सहयोगी देश वही करेंगे, जो भारत के हित में होगा और जिसका सुझाव प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी देंगे। निश्चित रूप से दोनों विश्व नेताओं के बीच दोपक्षीय वार्ता के दौरान बांग्लादेश के मसले पर चर्चा हुई थी तभी साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति ट्रंप ने दो टूक निर्णय सुनाया। इस साल के अंत में बांग्लादेश में चुनाव होने वाले हैं और ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रमुख मोहम्मद यूनुस बैकफुट पर हैं। उन्होंने ट्रंप के पहले कार्यकाल की आलोचना की थी, जिससे उनको नुकसान की आशंका दिख रही है। अब राष्ट्रपति ट्रंप ने गेंद भारत के पाले में डाल दी है। इसी तरह भारत के सुरक्षा और सामरिक सरोकारों को देखते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा को भारत भेजा जाएगा। सो, कुल मिला कर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा बड़ी उपलब्धियों वाली रही और उनकी पूरी टीम बेहद संतोष के साथ भारत वापस लौटी है। यह देशवासियों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने वाली यात्रा रही है।
यात्रा के कूटनीतिक संदेश और प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति की निजी केमिस्ट्री के बाद यात्रा के दौरान हुई औपचारिक संधियों और सहमतियों पर चर्चा करें तो व्यापार को लेकर सबसे बड़ी सहमति बनी है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने व्यापार के मामले में दुनिया के देशों के प्रति जो रवैया अपनाया है, भारत उससे लगभग अछूता है। हालांकि भारत के साथ भी अमेरिका का व्यापार घाटा बहुत बड़ा है। उस व्यापार घाटे को कम करने के लिए दोनों देशों ने कारोबार बढ़ाने का फैसला किया है। भारत अब अमेरिका से ज्यादा तेल और गैस खरीदेगा। अभी दोनों देशों के बीच दो सौ अरब डॉलर का सालाना कारोबार होता है, जिसे अगले पांच साल में पांच सौ अरब डॉलर तक ले जाने पर सहमति बनी है। दोनों देशों के बीच इस साल सितंबर तक व्यापार समझौता हो जाएगा। अगले 10 साल के लिए दोनों देशों के बीच रक्षा, वाणिज्य और प्रौद्योगिकी साझेदारी पर भी सहमति बनी है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत की सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए एफ 35 लड़ाकू विमानों के साथ साथ जैवलिन मिसाइल और स्ट्राइकर व्हीकल देने का भी प्रस्ताव किया है। जल्दी ही इनकी खरीद का भी समझौता होगा।
दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लियर डील में आगे बढ़ने पर सहमति बनी है। इसके तहत भारत में अमेरिकी डिजाइन के एटमी रिएक्टर बनेंगे। न सिर्फ भारत में एटमी रिएक्टर बनेंगे, बल्कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को इसकी तकनीक देने का भी वादा किया है। इससे एटमी ऊर्जा का उत्पादन बढ़ेगा और ऊर्जा सेक्टर में भारत की आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी। इसके आगे भारत और अमेरिका की कंपनी ट्रस्ट इनीशिएटिव के जरिए क्वांटम तकनीक, एआई, सेमीकंडक्टर और स्पेस मिशन में आपस में सहयोग करेंगी। इसका नतीजा यह होगा कि भारत में अगली पीढ़ी का एआई डेटा सेंटर बनेगा। दोनों देश मिल कर एआई सेक्टर में इनोवेशन को बढ़ावा देंगे। ध्यान रहे कुछ समय पहले ओपनएआई के संस्थापक सैम ऑल्टमैन भारत की यात्रा करके लौटे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने उनको आगे करके पांच सौ अरब डॉलर के स्टारगेट प्रोजेक्ट की घोषणा की है। नासा और इसरो के बीच सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी है और अमेरिकी कंपनियों का भारत में प्रत्यक्ष निवेश भी बढ़ेगा। इंडस्ट्रियल डिफेंस के सेक्टर में भी दोनों देशों की कंपनियां साझेदारी करेंगी। दोपक्षीय वार्ता में अमेरिकी विश्वविद्यालयों के भारत में कैम्पस खोलने पर भी सहमति बनी है। कुल मिला कर भारत और अमेरिका के बीच जिन कारोबारी मसलों पर सहमति बनी है उनसे भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की सोच को गति मिलेगी और भारत ज्यादा तेजी से इस लक्ष्य की ओर बढ़ेगा।
(लेखक दिल्ली में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त विशेष कार्यवाहक अधिकारी हैं।)